स्त्री सुख, समृद्धि और सौभाग्य के लिए इस शुक्रवार कर लें ये काम
भोलेनाथ करते हैं सभी मनोकामना पूरी
प्रदोष व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि यदि कृष्णपक्ष में सोमवार व शुक्लपक्ष में शनिवार के दिन प्रदोष काल हो तो वह विशेष फलदायी हो जाता है। जिस भी कामना से प्रदोष व्रत किया जाता है उसी वार के प्रदोष से व्रत आरम्भ करना चाहिए। इस दिन प्रदोष काल में किसी प्राचीन शिवलिंग का ताजे जल से अभिषेक करने के बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाएं तो भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
प्रदोष के दिन
1- सोमवार का ‘सोमप्रदोष’ शान्ति और रक्षा प्रदान करता है।
2- मंगलवार का ‘भौमप्रदोष’ व्रत ऋण से मुक्ति देता है।
3- बुध के दिन प्रदोष व्रत से कामनापूर्ति होती है।
4- बृहस्पतिवार के प्रदोष व्रत से शत्रु शांत होते हैं।
5- शुक्रवार की प्रदोष सौभाग्य, स्त्री सुख और समृद्धि के लिए शुभ होती है।
6- शनिवार का प्रदोष व्रत संतान सुख को देने वाला है।
7- रविवार का प्रदोष व्रत आरोग्य देने वाला है।
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प्रदोष व्रत का उद्यापन
प्रदोष व्रत को लगातार 21 साल तक करने का विधान है, किन्तु समय और सामर्थ्य न हो तो 11 या 26 प्रदोष व्रत रखकर भी इसका उद्यापन किया जा सकता है। दोष व्रत के उद्यापन के लिए गणेशजी के साथ उमा-महेश्वर का पूजन करने के बाद इस मन्त्र- “ॐ उमामहेश्वराभ्यां नम:” से अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर की 108 आहुति देकर हवन करें। हवन के बाद पुण्यफल की प्राप्ति के लिये किसी योग्य सतपथी ब्राह्मण को भोजन व दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
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प्रदोष व्रत में न करें ये काम
1- प्रदोष व्रत करने वाले साधक दिन भर आहार ग्रहण नहीं करें, दूध, फल, निंबू पानी आदि लिये जा सकते है ।
2- प्रदोष काल में शिव पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें ।
3- क्रोध करना, आलस्य करना, बार-बार पानी या चाय पीना, तम्बाकू-पानमसाला खाना, बीड़ी-सिगरेट पीना, शराब पीना, जुआ खेलना, झूठ बोलना ये सब काम प्रदोष व्रती के लिए वर्जित है।
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