धर्म-कर्म

Shattila Ekadashi Katha: क्या है षटतिला एकादशी की पौराणिक कथा, यहां पढ़ें

Shattila Ekadashi Katha: षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा करना शुभ फल देता है। इसके साथ ही मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जयपुरJan 25, 2025 / 07:54 am

Sachin Kumar

षटतिला एकादशी पौराणिक कथा

Shattila Ekadashi Katha: माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना और तिल का उपयोग विभिन्न रूपों में करने का विशेष महत्व है। लेकिन क्या आपको षटतिला एकादशी की कथा सुनी या पढ़ी है? अगर नहीं पढ़ी है तो यहां पढ़िए विस्तार से।
यह भी पढ़ें

कब है षटतिला एकादशी, जानिए कैसे करें व्रत और पूजा

षटतिला एकादशी की पौराणिक कथा

प्राचीन समय में एक ब्राह्मणी थी। जो भगवान विष्णु की परम भक्त थी। वह नियमित पूजा-अर्चना करती थी। लेकिन कभी किसी को दान नहीं देती थी। भगवान ने उसकी परीक्षा लेने के लिए भिक्षुक का रूप धारण किया और उससे भिक्षा मांगी। ब्राह्मणी ने भगवान को खाली पात्र दे दिया।
भगवान ने उसके खाली पात्र को स्वीकार कर लिया और उसे वरदान दिया कि मृत्यु के बाद वह स्वर्ग में जाएगी। स्वर्ग में पहुंचने पर ब्राह्मणी को खाली घर मिला। वह परेशान होकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगी। भगवान ने कहा कि उसने जीवनभर दान नहीं किया, इसलिए उसे यह परिणाम मिला।
ब्राह्मणी ने अपनी भूल स्वीकार की और क्षमा मांगी। तब भगवान विष्णु ने कहा, माघ मास के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का व्रत करो। तिल का उपयोग छह प्रकार से (दान, स्नान, उबटन, भोजन, हवन और तर्पण) करके पुण्य अर्जित करो। इससे तुम्हें स्वर्ग में सुख-समृद्धि मिलेगी। ब्राह्मणी ने व्रत किया और उसे स्वर्ग में सुख-शांति प्राप्त हुई।
यह भी पढ़ें

यज्ञ से ज्यादा प्रभावशाली है षटतिला एकादशी का व्रत, स्कंद पुराण से जानिए इसका महत्व

षट्तिला एकादशी का महत्व

षट्तिला एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी तिथियों में से एक मानी जाती है। इसका व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से दरिद्रता और दुखों से मुक्ति मिलती है। यहां तक कि अगर आप व्रत नहीं कर सकते तो सिर्फ कथा सुनने से भी वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। यह व्रत वाचिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह के पापों से मुक्ति दिलाता है। इस व्रत का फल कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और यज्ञों के बराबर माना गया है।
यह भी पढ़ें

षट्तिला को क्यों कहा जाता है 6 तिल वाली एकदशी, क्या है इसका तिल से जुड़ा धार्मिक रहस्य

तिल का महत्व

षट्तिला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और तिल का भोग महत्वपूर्ण है। इस दिन तिल दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। षट्तिला एकादशी का व्रत रखकर तिलों से स्नान, दान, तर्पण और पूजन किया जाता है। इस दिन तिल का उपयोग स्नान, प्रसाद, भोजन, दान और तर्पण में होता है। तिल के अनेक उपयोगों के कारण ही इसे षट्तिला एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि जितने तिल दान करेंगे, उतने ही पापों से मुक्ति मिलेगी।
यह भी पढ़ें

यज्ञ से ज्यादा प्रभावशाली है षटतिला एकादशी का व्रत, स्कंद पुराण से जानिए इसका महत्व

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Shattila Ekadashi Katha: क्या है षटतिला एकादशी की पौराणिक कथा, यहां पढ़ें

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.