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Sawan Shivratri: 43 मिनट है शिवरात्रि पर निशिता काल , जानें डेट, व्रत विधि और क्या है व्रत पारण समय

Sawan Shivratri: शिवरात्रि यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव की प्रिय तिथि है, इसके कारण सावन महीने में इसका महत्व बढ़ जाता है। क्या आपको पता है कब है सावन की शिवरात्रि और इस दिन की पूजा विधि क्या है, पारण समय क्या है, निशित काल पूजा समय क्या है (Shivratri Vrat Vidhi Paran Samay) ।

भोपालJul 28, 2024 / 11:26 am

Pravin Pandey

सावन शिवरात्रि 2024

कब है सावन शिवरात्रि

चतुर्दशी तिथि प्रारंभः 02 अगस्त 2024 शुक्रवार को दोपहर 03:26 बजे
चतुर्दशी तिथि का समापनः 03 अगस्त 2024 शनिवार को दोपहर 03:50 बजे
सावन शिवरात्रिः शुक्रवार 2 अगस्त 2024
निशिता काल पूजा समयः 3 अगस्त सुबह 12:05 बजे (2 अगस्त की रात) से सुबह 12:48 बजे तक
अवधिः 00 घंटे 43 मिनट

शिवरात्रि पारण का समयः 3 अगस्त सुबह 05:52 बजे से दोपहर 03:44 बजे तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समयः 2 अगस्त शाम 07:02 बजे से रात 09:44 बजे तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समयः 2 अगस्त रात 09:44 बजे से देर रात (यानी 3 अगस्त सुबह) 12:27 बजे तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समयः 2 अगस्त देर रात 12:27 (सुबह 3 अगस्त) बजे से सुबह 03:09 बजे तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समयः 3 अगस्त को सुबह 03:09 बजे से सुबह 05:52 बजे तक
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सावन शिवरात्रि में पूजा पाठ का विशेष महत्व

हिंदू पंचांग में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। भगवान शिव के भक्त प्रत्येक मासिक शिवरात्रि को व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि या श्रावण शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है।

वैसे तो पूरा श्रावण महीना ही भगवान शिव को समर्पित है और उनकी पूजा करने के लिए शुभ है। इससे श्रावण महीने में आने वाली शिवरात्रि और भी शुभ हो जाती है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है, क्योंकि इसी दिन सृष्टि की रचना हुई थी और इसी दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस दिन उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर, काशी विश्वनाथ और बद्रीनाथ धाम में विशेष पूजा-पाठ और दर्शन करते हैं। भक्त गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक कर शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शिव जी की पूजा का महत्व
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सावन शिवरात्रि व्रत विधि

  1. शिवरात्रि के एक दिन पहले मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय भोजन ग्रहण किया जाता है।
  2. शिवरात्रि के दिन सुबह नित्य कर्म करने के बाद भक्तों को पूरे दिन व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान, भक्तों को मन ही मन प्रतिज्ञा दोहरानी चाहिए और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगना चाहिए।
  3. शिवरात्रि के दिन भक्तों को संध्याकाल स्नान करने के बाद ही पूजा करना चाहिए या मंदिर जाना चाहिए।
  4. शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए और अगले दिन स्नान आदि के बाद फिर पूजा कर अपना व्रत तोड़ना चाहिए।
  5. व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन एक अन्य धारणा के अनुसार व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के बाद का बताया गया है। आम लोगों की मान्यता है कि शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन) चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए।
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