scriptSant Ravidas: आम लोगों में प्रचलित हैं संत रविदास के चमत्कारों की ये कहानियां | Sant Ravidas Ke Chamatkar guru ravidas ki kahaniyan raidas miraculous stories ganga ji ki katha on which people deep faith | Patrika News
धर्म-कर्म

Sant Ravidas: आम लोगों में प्रचलित हैं संत रविदास के चमत्कारों की ये कहानियां

Sant Ravidas Ke Chamatkar भारत में हमेशा चमत्कारी और सिद्ध संत हुए हैं। संत कबीर दास के समकालीन गुरु रविदास के चमत्कारों की ऐसी ही अनेक कहानियां आम लोगों में प्रचलित हैं। संत रैदास की जयंती पर आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ चमत्कारिक कहानियों के बारे में जो लोक जीवन में प्रसिद्ध हैं..

Feb 23, 2024 / 12:35 pm

Pravin Pandey

santravidaskechamatkar.jpg

संत रविदास के चमत्कार की कहानी


गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) माघ पूर्णिमा पर मनाई जाती है। इनका जन्म वाराणसी के मडुआडीह में सन 1398 में हुआ था, इनका एक नाम संत रैदास भी है। कहा जाता है कि रविवार को जन्म के कारण इन्हें रविदास कहा जाता है। संत रविदास के लाखों अनुयायी हैं, जिनकी उन पर अटूट आस्था है। इनसे जुड़ीं कई कहानियां (Sant Ravidas Ke Chamatkar) प्रचलित हैं, जिनके कारण कई आस्थावान लोग उन्हें चमत्कारी संत और ईश्वर का अवतार मानते हैं। गुरु रविदास जयंती के उपलक्ष्य में आइये बताते हैं संत रैदास के चमत्कार से जुड़ीं ये कहानियां।

संत रविवदास का एक और चमत्कार लोगों में प्रसिद्ध है। कहा जाता है संत रविदास के जन्म के समय उनकी माता के पास एक महिला खड़ी थी। इस महिला की आंखों में रोशनी कम थी, लेकिन संत रविदास के जन्म के समय हुई रोशनी से उसकी आंखें ठीक हो गईं।

संत रैदास से जुड़़ी एक और किंवदंती है जिसके अनुसार, एक बार संत रविदास के फूफा ने बच्चों के खेलने के लिए एक चमड़े का खरगोश बनाया था। एक बार संत रविदास ने इस खरगोश को तीन बार पैर से धकेल दिया तो उस खरगोश में जान आ गई। वह घर से बाहर चला गया।
ये भी पढ़ेंः Sant Ravidas Jayanti: क्या संत रविदास की भी हुई थी धर्मांतरण कराने की कोशिश, जानें किंवदंती

gururavidasjayantiimage.jpg
एक लोक कथा के अनुसार संत रविदास आजीविका के लिए जूते बनाते थे, लेकिन इसे भी उन्होंने धन कमाने की जगह सेवा का माध्यम बना लिया। जो भी संत फकीर उनके द्वार पर आते, वो उन्हें बिना पैसे लिए जूते पहना देते। इससे घर का खर्च चलाना मुश्किल होने लगा। इससे उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर थोड़ी से जमीन देकर अलग कर दिया, यहां संत रविदास ने कुटिया बनाई और वहीं रहकर संतों की सेवा करते और जो कुछ बच जाता उससे गुजारा करते।

एक दिन एक ब्राह्मण उनके यहां आया, उसने कहा कि गंगा स्नान करने के लिए जा रहा हूं एक जूता चाहिए। संत रविदास ने उसे बिना पैसे लिए जूता दे दिया और एक सुपारी ब्राह्मण को दिया, कहा कि इसे मेरी ओर से गंगा मैया को दे देना। जब ब्राह्मण गंगा स्नान के बाद पूजा कर चलने लगा तो उसने अनमने ढंग से संत रविदास की दी सुपारी गंगा में उछाल दी।
इस पर एक चमत्कार हुआ, गंगा मैया प्रकट हुईं और सुपारी हाथ में ले ली। साथ ही एक सोने का कंगन ब्राह्मण को दिया। कहा कि इसे रविदास को दे देना।
इस घटना से ब्राह्मण भाव विभोर हुआ, उसने संत रविदास से कहा कि आपके कारण मुझे पापनाशिनी गंगा मैया के दर्शन हुए। आपकी भक्ति के प्रताप से माता ने आपकी सुपारी स्वीकार की।

धीरे-धीरे यह खबर पूरी काशी में फैल गई। इस पर कई विरोधी एकजुट हो गए और कहा कि यह कहानी पाखंड है। संत रविदास सच्चे भक्त हैं तो दूसरा कंगन लाकर दिखाएं। इस पर संत रविदास भजन गाने लगे, कुछ देर बाद जिस कठौत के पानी से संत रविदास चमड़ा साफ करते थे, उससे गंगा मैया प्रकट हुईं और दूसरा कंगन भेंट किया। इससे विरोधियों का सिर नीचा हो गया। इसके बाद से प्रसिद्ध हो गया, जौ मन चंगा त कठौती में गंगा।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Sant Ravidas: आम लोगों में प्रचलित हैं संत रविदास के चमत्कारों की ये कहानियां

ट्रेंडिंग वीडियो