अचिन्त्यायाम्बिकाभर्त्रे सर्वदेवस्तुतायच॥5॥
वृषध्वजाय मुण्डाय जिटने ब्रह्मचारिणे।
तप्यमानाय सिलले ब्रह्मण्यायाजिताय च॥6॥ विश्वात्मने विश्वसृजे विश्वमावृत्य तिष्ठते।
नमो नमस्ते सेव्याय भूतानां प्रभवे सदा॥7॥
ब्रह्मवक्त्राय सर्वाय शंकराय शिवाय च।
नमोऽस्तु वाचस्पतये प्रजानां पतये नम:॥8॥ नमो विश्वस्य पतये महतां पतये नम:।
नम: सहस्रिशरसे सहस्रभुजमृत्यवे।
सहस्रनेत्रपादाय नमोऽसंख्येयकर्मणे॥9॥
नमो हिरण्यवर्णाय हिरण्यकवचाय च।
भक्तानुकिम्पने नित्यं सिध्यतां नो वर: प्रभो॥10॥
प्रसादयामास भवं तदा ह्यस्त्रोपलब्धये॥11॥ ॥ इति शुभम्॥ ये भी पढ़ेंः हरियाली अमावस्या पर राशि अनुसार लगाएं पौधे, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद, घर में होगा सुख समृद्धि का वास
रुद्राभिषेक स्तोत्रम् पाठ विधि (Rudrabhishek Stotram path vidhi)
तांबे का लोटा लेकर उसमें शुद्ध पानी, दूध, चावल, बिल्व पत्र, दूर्वा, सफेद तिल, घी, मिलाकर शिवलिंग पर घृतधारा चालू कर इस लघु रुद्राभिषेकस्तोत्रम् का पठन 11 बार श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में आनेवाली आधि, व्याधि टल जाती है। साथ ही सुख शांति मिलती है।