कभी कभी डॉक्टरों को भी किसी गंभीर बीमारी की मूल वजह का पता नहीं चल पाता और ऐसे में धन और समय दोनों ही बेकार जाते हैं। लेकिन तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे सिध्द मंत्र बताएं गये हैं जिनका सही तरीके से प्रयोग करने पर गंभीर से गंभीर बीमारी कुछ ही दिनों पूरी तरह ठीक हो जाती है। आयुर्वेद में लिखा गया है कि ऐसी परिस्थिति में मनुष्य को देवताओं की शरण में जाना चाहिए और उनके दिव्य मंत्रों का जप व यज्ञ करने से ही शारीरिक और मानसिक रोग दूर हो जाते हैं।
मंत्र प्रयोग विधि
– रात्रि 11 बजे से 2 बजे तक या फिर सुबह 4 बजे से 7 बजे तक के समय में ही करें।
– अमावस्या और पूर्णिमा तिथि प्रयोग के लिए अति उत्तम मानी गई है।
– घर के पूजा स्थल पर भगवान अमृतेश्वर मृत्युंजय शिव का आवाहन करें।
– आटे से बना हुआ दीपक में गाय का घी डालकर जलायें।
– कंबल के आसन पर बैठकर नीचे दिये गये दोनों मंत्र का 1100 बार जप करें।
– जप करते समय रोगी के शीघ्र ठीक होने का कामना मन ही मन करें।
– जप पूरा होने के बाद हवन, यज्ञ करें।
– जिन मंत्रों का जप किया है उन्हीं मंत्रों से रोगी के ठीक होने की भावना से- गाय के शुद्ध घी से 108 + 108 आहुति का हवन करें।
– गाय के शुद्ध घी की आहुति देने के बाद नीचे दी गई हवन सामग्री से भी 108 बार आहुति देना हैं।
अमृतेश्वर मृत्युंजय मंत्र
।। ऊँ श्री हृीं मृत्युंजये भवगती चैतन्य चन्दे हंस संजीवनी स्वाहा ।।
गायत्री मंत्र
।। ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
यज्ञ के लिए विशेष हवन सामग्री
1- पीली सरसों 250 ग्राम,
2- राई 250 ग्राम,
3- लाजा 500 ग्राम,
4- वालछड़ 10 ग्राम,
5- काली मिर्च 100 ग्राम,
6- बूरा 500 ग्राम,
7- शहद 200 ग्राम,
8- हल्दी 200 ग्राम,
9- लौंग 5 नग,
10- इलाइची 5 नग,
11- गाय के दुध की बनी खीर 100 ग्राम
इन सभी को घी में मिलाकर तैयार हुई हवन सामग्री से यज्ञ में आहुति देने के बाद एक सूखे नारियल गोले से पूर्णाहूती करें। इसे पूरे विधि विधान से करने के बाद आप देखेंगे की जिस रोगी को डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पायें उस रोगी को दूसरे दिन ही मरीज़ को लाभ हो जायेगा।
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