राधा अष्टमी पूजा विधि (Radha Ashtami Vrat Puja Vidhi)
- रोजाना की तरह सुबह उठें स्नान ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
- दोपहर में भगवान कृष्ण और राधा रानी की विधिवत पूजा करें।
- इसके लिए पूजन स्थल की साफ-सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करें और पांच रंग का मंडप बनाकर ध्वजा, पुष्पमाला, वस्त्र, पताका, तोरण आदि से उसे सजाएं।
- मंडप के भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं और उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्री राधा कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख (पश्चिम की तरफ जिसका मुंह हो) स्थापित करें।
- सपरिवार पूजा करें, राधा रानी और कृष्णजी को धूप, दीप, फल-फूल, अगरबत्ती, मिठाई अर्पित करें, उनकी स्तुति और आरती गाएं।
- एक माला ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम: मंत्र का जाप करें।
- दिन में हरिचर्चा करें और रात में नाम संकीर्तन करें।
- एक समय फलाहार कर, मंदिर में दीपदान करें।
राधा जी की आरती
आरती राधा जी की कीजै,कृष्ण संग जो करे निवासा,कृष्ण करें जिन पर विश्वासा, आरती वृषभानु लली की कीजै।
कृष्ण चन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई, उसी शक्ति की आरती कीजै।
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, जमुना तट पर रास रचाई, आरती रास रचाई की कीजै।
प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई, आरती राधा जी की कीजै।
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती, आरती दु:ख हरणी की कीजै।
कृष्ण चन्द्र ने प्रेम बढ़ाया, विपिन बीच में रास रचाया, आरती कृष्ण प्रिया की कीजै।
दुनिया की जो जननि कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे, आरती जगत मात की कीजै।
निज पुत्रों के काज संवारे, आरती गायक के कष्ट निवारे, आरती विश्वमात की कीजै।
राधा रानी के मंत्र
- ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।
ब्रह्मा विष्णु द्वारा राधाजी की वंदना
- नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।
ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।
रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।
राधाजी के अन्य मंत्र
- ऊं ह्नीं श्रीराधायै स्वाहा।