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Navratri Bhog: मां दुर्गा का आशीर्वाद चाहते हैं तो नौ दिन लगाएं ये भोग, यहां जानें हर स्वरूप के अलग प्रसाद का रहस्य

navratri bhog for 9 days in hindi: नवरात्रि में नौ दिन तक माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही हर स्वरूप के लिए अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। क्या आपको पता है नौ दिन कौन से भोग लगाने चाहिए …

जयपुरSep 29, 2024 / 10:40 am

Pravin Pandey

navratri bhog

नवरात्रि पूजा भोग

navratri bhog for 9 days in hindi: नवरात्रि उत्सव में नवदुर्गा की उपासना के लिए अनेक धार्मिक अनुष्ठान और क्रियाकलाप किए जाते हैं। इसी के तहत नवदुर्गा के प्रत्येक स्वरूप को एक विशिष्ट प्रसाद अर्पित करने की परंपरा है। देवी दुर्गा का प्रत्येक अवतार अपने आप में विशेष और विलक्षण है। इसीलिए उनके विभिन्न स्वरूपों के अनुसार विशेष भोग-प्रसाद उन्हें चढ़ाया जाता है, जिसे जरूर जानना चाहिए।


पहले दिन देसी घी का प्रसाद (Shailputri Ka Bhog)

नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री को समर्पित है। देवी ने सती के रूप में आत्मदाह कर लिया था और फिर देवी पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ही देवी मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री, त्रिमूर्ति अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति का प्रतीक हैं। माता शैलपुत्री का आशीर्वाद प्राने के लिए देसी घी को प्रसाद स्वरूप अर्पित करना चाहिए।
shailputri ka bhog
मां शैलपुत्री का भोग


दूसरे दिन शक्कर का प्रसाद (Brahmacharini Ka Prasad)


नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। देवी पार्वती के तपस्विनी और अविवाहित रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। देवी का यह अवतार दृढ़ता और तपस्या का प्रतीक है। साधक को देवी के इन गुणों की प्राप्ति के लिए शक्कर का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
ma brahmacharini bhog
मां ब्रह्मचारिणी का भोग

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तीसरे दिन खीर का प्रसाद (Chandraghanta Ka Prasad Kheer)


नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चन्द्रघण्टा को समर्पित है। देवी चन्द्रघण्टा, देवी पार्वती का विवाहित स्वरूप हैं। भगवान शिव से विवाह करने के बाद देवी पार्वती ने अर्ध चन्द्र को अपने मस्तक पर सुशोभित करना आरम्भ कर दिया था, जिसके कारण उन्हें देवी चन्द्रघण्टा के रूप में जाना जाने लगा। देवी चन्द्रघण्टा अपने भक्तों को साहस प्रदान कर, उन्हें समस्त अवगुणों से दूर रखती हैं। देवी चन्द्रघण्टा को प्रसाद स्वरूप खीर अर्पित करनी चाहिए।
chandraghanta ka bhog
मां चंद्रघंटा का भोग


चौथे दिन मालपुए का प्रसाद (Kushmanda Ka Prasad Malpua )

नवरात्रि का चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। माता कूष्माण्डा सूर्य के अंदर अर्थात सूर्य मण्डल में निवास करती हैं, उनके अतिरिक्त अन्य किसी में यह शक्ति और क्षमता नहीं है। देवी कूष्माण्डा की देह सूर्य के समान दिव्य और तेजोमय है। देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों के जीवन से अंधकार का नाश करती हैं और उन्हें धन और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। माता कूष्माण्डा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
ma kushmanda ka prasad
चौथे दिन मां कुष्मांडा का भोग

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पांचवें दिन केले का प्रसाद (Skandmata Ka Bhog Kela)


नवरात्रि के पांचवे दिन जगदंबा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा जाती है। देवी पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय हैं, जिन्हें स्कंद देव के नाम से भी जाना जाता है। इसीकारण माता पार्वती को देवी स्कंदमाता भी कहा जाता है। देवी स्कंदमाता अपने भक्तों को समृद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं। नवरात्रि में देवी स्कंदमाता को केले का प्रसाद अर्पित करें।
skandmata ka prasad navratri
स्कंदमाता का प्रिय भोग, नवरात्रि के पांचवें दिन


छठे दिन शहद का प्रसाद (Katyayani Ka Bhog Shahad)


नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। महिषासुर दैत्य का अंत करने के लिए देवी पार्वती ने देवी कात्यायनी रूप धारण किया था। यह देवी पार्वती का सर्वाधिक हिंसक रूप है। देवी कात्यायनी का यह स्वरूप क्रोध के सकारात्मक उपयोग को प्रदर्शित करता है। देवी कात्यायनी को मधु अर्थात शहद का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
katyayani ka bhog sixth day navratri
नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा


सातवें दिन गुड़ का प्रसाद (Kalratri Ka Bhog Gud)


नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी पार्वती ने शुम्भ-निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने के लिए अपने स्वर्ण वर्ण का त्याग कर दिया था। देवी के इस भयंकर स्वरूप को देवी कालरात्रि के रूप में जाना जाता है। यह देवी पार्वती का सर्वाधिक उग्र और क्रूर रूप है। देवी कालरात्रि की देह से उत्सर्जित होने वाली शक्तिशाली ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए नवरात्रि में देवी कालरात्रि को गुड़ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
kalratri ka prasad 7th day navratri
नवरात्रि के सातवें दिन काली को यह प्रसाद चढ़ाएं।


आठवें दिन नारियल का प्रसाद (Mahagauri Ka Bhog Nariyal)


नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सोलह वर्ष की आयु में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं और उन्हें गौर वर्ण का वरदान प्राप्त था। इनके गौर वर्ण के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है। देवी महागौरी को प्रसाद स्वरूप नारियल अर्पित करने से मनुष्य पाप मुक्त होता है और विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखः भोगता है।
mahagauri puja bhog 8th day navratri
महागौरी की पूजा का भोग नवरात्रि के आठवें दिन


नवें दिन तिल का प्रसाद (Siddhidatri Ka Bhog Til)

नवरात्रि के नवं दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। सृष्टि के आरंभ में भगवान रुद्र ने सृष्टि निर्माण के लिए आदि-पराशक्ति की पूजा की थी। यह माना जाता है कि देवी आदि-पराशक्ति का कोई रूप नहीं था और वह निराकार थीं। शक्ति की सर्वोच्च देवी, आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बायें आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। देवी सिद्धिदात्री की आराधना से समस्त प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में देवी सिद्धिदात्री को तिल या तिल से बने पदार्थों का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
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नवरात्रि के नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा में ये भोग लगाएं।

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