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नवग्रहों की शांति चाहते हैं तो घर पर ही करें इन मंत्रों से उपाय

नवग्रहों की शांति चाहते हैं तो घर पर ही करें इन मंत्रों से उपाय

Jun 08, 2018 / 05:25 pm

Shyam

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नवग्रहों की शांति चाहते हैं तो घर पर ही करें इन मंत्रों से उपाय

कहा जाता हैं कि ज्योतिष शास्त्र का सम्पूर्ण आधार सौरमंडल में स्थित सभी 9 ग्रहों ही हैं, ज्योतिष शास्त्र ने अपने तथ्यों को समय-समय पर वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से प्रमाणित किया है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौर मंडल में स्थित 9 ग्रहों को नवग्रह की संज्ञा दी गयी है, जिस प्रकार ब्रह्मांड में होनी वाली हलचल का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है, चन्द्रमा के प्रभाव से समुद्र में ज्वार -भाटे आते है ठीक उसी प्रकार से सौर मंडल में स्थित ग्रहों का मावन जीवन पर सीधे-सीधे प्रभाव पड़ता है ।


नवग्रह सूर्य ,शनि ,शुक्र, ब्रहस्पति ,चंद्रमा, बुध ,मंगल ,राहू और केतु किसी भी जातक की कुंडली में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव दिखाते है, जातक की लग्न कुंडली में कि कौन सा गृह कौन से भाव में बैठा है, कुंडली में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों को ही गृहदोष कहा जाता है । हर कोई व्यक्ति अपने घर पर ही नवग्रहों की शांति कर सकते हैं ।

 

नवग्रह की शांति के मंत्र-

 

1- सूर्य दोष
सूर्य ग्रह उर्जा का प्रतीक है और यह जातक को समाज में मान-सम्मान और यश की प्राप्ति कराता है, जिस जातक की कुंडली में सूर्य गृह सही स्थिति में बैठा हो उसका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है, ऐसा व्यक्ति शरीर से हष्ट-पुष्ट और बलवान होता है, इसके विपरीत जिस जातक की कुंडली में सूर्यदोष हो वह सदा बीमारी से परेशान रहता है । सूर्य दोष की शांति के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार तुलसी की माला से जप करें । ॐ सूं सूर्याय नमः । जप करने के बाद सूर्य को अर्घ्य भी दें । शीघ्र ही इसके परिणाम आपको दिखाई देने लगेंगे ।

 

2- चन्द्र दोष


हिन्दू धरम में चन्द्रमा को चन्द्र देव कहा गया है, लग्न कुंडली में चन्द्र दोष होने पर जातक पेट संबंधी रोगों से परेशान रहता है और मानसिक व्याधियां भी होने की सम्भावना बढ़ जाती है, ऐसे जातक के बिना वजह ही शत्रु बनने लग जाते है, व्यापार में धन की हानि होने लगती है । चन्द्र दोष शांति हेतु इस मंत्र का 108 बार जप करें । ॐ सों सोमाय नमः ।

 

3- मंगल दोष
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को विनाशकारी माना गया है, कुंडली में मंगल ग्रह के नीच स्थान में होने पर मांगलिक दोष होता है, लग्न कुंडली में 1 ,4, 7, 8, और 12 वे भाव के से किसी भी स्थान पर मंगल ग्रह होने पर मांगलिक दोष बनता है, जिसका सीधा प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन पर और संतान संबंधी सुख पर पड़ता है । कुंडली में मांगलिक दोष निवारण के लिए इस मंत्र का नियमित 251 बार जप करें । ॐ भौं भौमाय नमः ।

 

4- बुध ग्रह दोष
अगर किसी की कुंडली में बुध गृह का अशुभ प्रभाव आपको व्यापार, दलाली और नौकरी में हानि पहुँचा सकता है, बोलने की शक्ति में तुतलाहट आना बुध ग्रह का नीच भाव में आने के कारण ही होता है, बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव दोस्तों से मित्रता में खटास का कारण बन सकते है । यहाँ तक की आपकी बहन, बुआ या मौसी का किसी भारी मुशीबत में आना बुध ग्रह के नीच भाव में होने के कारण ही होता है । बुध ग्रह दोष निवारण के लिए इस मंत्र का 108 बार जप करें । ॐ बुं बुधाय नमः ।

 

5- गुरु ग्रह दोष
सामान्यतः गुरु ग्रह शुभ फल ही देता है किन्तु यदि गुरु गृह किसी पापी ग्रह के साथ विराजमान हो जाये तो कभी कभी अशुभ संकेत भी देने लगता है, गुरु दोष होने पर जातक विवाह व अपने भाग्य से संबधी परेशानियों का सामना करता है, कुंडली में गुरु दोष शारीरिक, मानसिक व आर्थिक सभी प्रकार से कष्ट देता है । कुंडली में गुरु दोष निवारण हेतु इस मंत्र का हर रोज 1000 बार जप करें :- ॐ बृं बृहस्पतये नमः ।

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6- शुक्र ग्रह दोष
शुक्र ग्रह को पति-पत्नी, प्रेम संबंध, एश्वर्य और आनंद आदि का कारक ग्रह माना गया है, जिस जातक की कुंडली में शुक्र गृह की स्थिति अच्छी हो वह अपना सम्पूर्ण जीवन प्रेम , एश्वर्य और आनंद से बिताता है, ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन भी प्रेम व आनंद से परिपूर्ण रहता है, कुंडली में शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर जातक मूत्र संबंधी विकार, नेत्र रोग , गुप्तेन्द्रिय , सुजाक , रक्त प्रदर, प्रमेह और पांडू रोग से पीड़ित हो सकता है, शुक्र ग्रह दोष होने पर इसके अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए । ॐ शुं शुक्राय नम: ।
7- शनि ग्रह दोष
शनि ग्रह जिसे शनिदेव भी कहा गया है, हिन्दू धर्म में शनिदेव मनुष्य के द्वारा किये गये कर्मो का फल देने वाले है, जातक की कुंडली में शनि की क्रूर द्रष्टि (शनि दोष ) उसके सम्पूर्ण जीवन को तहस-नहस कर सकती है, यहाँ तक की लग्न कुंडली के पहले भाव में शनि का होना जातक की मृत्यु का कारण भी बन सकता है, अक्सर देखा गया है कि शनि की साढ़े साती व ढैय्या से प्रभावित जातक जीवन से इतना परेशान रहता है । ग्रह दोष होने पर इसके अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए । ॐ ऐं हृीं श्रीं शनैश्चराय नमः।
9- 10- राहू-केतू ग्रह
राहू -केतू ग्रहों को छाया ग्रह कहा जाता हैं, ज्योतिष शास्त्र में राहू – केतू को पापी ग्रह की श्रेणी में रखा गया है, इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है ये दोनों ग्रह जिस भी गृह के साथ आ जाते है उसी के दोषों के अनुसार अपना प्रभाव दिखाने लगते है, जातक की लग्न कुंडली में राहू – केतू की महादशा होने पर जातक जीवन भर मुशिबतों का सामना करता है, ऐसी स्थिति में जातक को अतिशीघ्र राहू केतू दोष के निवारण हेतु पूजा-पाठ करनी चाहिए ।
8- राहू ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इस मंत्र का नियमित 108 बार सुबह, शाम जप करना चाहिए । ॐ रां राहवे नमः । एवं 9- केतू ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इस मंत्र का नियमित 108 बार सुबह, शाम जप करना चाहिए । ॐ कें केतवे नमः ।।
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