नाम पंचमी की डेट (Nag Panchami date): 9 अगस्त
सावन शुक्ल पंचमी का प्रारंभः 08 अगस्त 2024 को रात 12:36 बजे यानी 9 अगस्त को सुबह 00.36 बजे सेपंचमी तिथि समापनः 10 अगस्त 2024 को सुबह 03:14 यानी 9 अगस्त देर रात 3.14 बजे
नाग पंचमी पूजा मूहूर्तः 9 अगस्त सुबह 05:54 बजे से 08:31 बजे तक
नाग पंचमी की कथा (Nag Panchami Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक सेठजी थे, इनके सात बेटे थे। इन सातों का विवाह हो चुका था। इनमें सबसे छोटे बेटे की पत्नी सबसे सुशील और गुणवान थी, लेकिन उसको कोई भाई नहीं था। इससे वह अक्सर दुखी हो जाया करती थी। इस बीच एक दि सबसे बड़ी बहू घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं के साथ डलिया और खुरपी लेकर मिट्टी लेने गई।मिट्टी को खोदने के लिए महिलाओं ने खुरपी चलाई तो पास के बिल से एक सांप निकल आया। डर के मारे बड़ी बहू ने सांप को मारने की कोशिश की तो सबसे छोटी बहू ने उसे रोक दिया और समझाया कि यह सर्प निरपराध है और इसे मारना पाप होगा। यह सुनकर बड़ी बहू ने सांप को छोड़ दिया और उसे जाने दिया। इसके बाद सांप एक ओर जाकर बैठ गया। छोटी बहू ने इस सांप को देखकर कहा कि मैं अभी लौटकर आऊंगी इसलिए तुम यहां से मत जाना। छोटी बहू बाकी बहुओं के साथ घर चली गई लेकिन घर जाने के बाद वह घर के कामों में उलझ गई और सांप से किया हुआ वादा भूल गई। अपना वादा छोटी बहू को अगले दिन याद आया।
छोटी बहू ने सर्प को बताया कि उसका कोई भाई नहीं है और आज उसे एक भाई मिल गया, उसके जीवन में एक ही कमी थी जो पूरी हो गई। इसके बाद एक दिन सर्प लड़के का रूप धारण करके छोटी बहू के ससुराल पहुंचा और अपना परिचय छोटी बहू के भाई के रूप में दिया। सांप ने बताया कि मैं बचपन में ही घर से दूर चला गया था और अब अपनी बहन को कुछ दिन के लिए लेने आया हूं। यह सुनकर छोटी बहू को घरवालों ने उसके साथ जाने दिया, छोटी बहू को अब भी इस लड़के के बारे में कुछ नहीं पता था। रास्ते में सांप ने बताया कि मैं वही सांप हूं जो उसदिन मिला था, यह सुनकर छोटी बहू खुश हुई और सांप के साथ चली गई।
घर लौटी छोटी बहू के पास इतना धन देखकर बड़ी बहू ने कहा कि तेरा भाई इतना धनवान है तो और धन लाकर दे। यह बात सर्प को पता लगी तो वह धन ला-लाकर छोटी बहू के घर देने लगा, एक दिन सर्प ने अपनी बहन को हीरे और मणियों का हार लाकर दिया। इस हार की अद्भुत सुंदरता की बात राजा और रानी तक भी पहुंच गई।
यह जानकर राजा प्रसन्न हुआ और छोटी बहू को उन्होंने कई उपहार पुरस्कार में दिए। यह सब देखकर बड़ी बहू को ईर्ष्या होने लगी। बड़ी बहू ने छोटी बहू के पति के कान भरने शुरू किए और उसे भड़काया कि तेरी पत्नी ना जाने कहां से धन लाती है। छोटी बहू का पति उससे सवाल-जवाब करने लगा तो सर्प भाई वहां प्रकट हुआ और पूरी कहानी सुनाई। सर्प ने यह भी कहा कि अगर मेरी बहन को किसी ने तकलीफ दी तो मैं उसे डस लूंगा। यह सुनकर छोटी बहू भाई के प्रति और भी कृतज्ञ हो गई। इसके बाद से ही हर साल वह नाग पंचमी का त्योहार मनाने लगी और तभी से सभी स्त्रियां सर्प को भाई मानकर पूजा करने लगीं।