सूर्य देव के उत्तरायण होने पर मंगलवार को पुष्य नक्षत्र के अद्भुत संयोग में मकर संक्रांति मनाई गई । इसके साथ ही एक माह का खरमास खत्म होगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से पहले पुण्यकाल में श्रद्धालुओं ने नदियाें या तालाबों में स्नान किया। जो बाहर नहीं जा सके, उन लोगों ने घर में पानी में गंगाजल डालकर गंगा मैया का ध्यान करते हुए स्नान किया। मंदिरों के अलावा घरों भगवान की पूजा-अर्चना कर सुखमय जीवन के लिए मंगलकामनाएं की। चावल, तिल, गजक, तिलकुट आदि दान-पुण्य किया।
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की
परंपरागत तिल के लड्डू, गजक, गुड़, चूड़ा (पोहा), दही और खिचड़ी आदि पकवान ग्रहण किया। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी भी की गई। मकर संक्रांति को लेकर सुबह से ही घरों का माहौल खुशनुमा बना हुआ था। पुण्यकाल सुबह करीब 9:12 बजे से शाम 5.17 बजे तक रहने के कारण लोगों को स्नान- दान पुण्य का अधिक समय मिला। रात में विशेष रूप से खिचड़ी ग्रहण किया। पंडित कमलेश कुमार तिवारी, पं. राजेंद्र उपाध्याय व पं. प्रभात मिश्र ने ऋषिकेश पंचांग का हवाला देते हुए बताया कि सूर्य देव ने दिन में करीब 3.27 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश किया। मकर संक्रांति को लेकर इस्कॉन समेत अन्य मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।