नीतिका शर्मा के अनुसार पद्म पुराण में बताया गया है कि माघ में किए गए दान का अक्षय फल मिलता है यानी इसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। साथ ही इस महीने तीर्थ स्नान से मोक्ष मिलता है। राजस्थान में माघ मास के दौरान पुष्कर के साथ गलताजी में बड़ी संख्या के साथ श्रद्धालु स्नान करते हैं और जरूरतमंद लोगों को दान देते हैं।
तीर्थराज पुष्कर में काफी संख्या में राजस्थान के श्रद्धालु माघ मास में स्नान करने आते हैं। तीर्थ स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस समय तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। कहानी से आइये जानते हैं माघ का महत्व
माघ मास का महत्व
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि पद्म पुराण में माघ महीने का महत्व बताया गया है। इस पुराण में माघ में तीर्थ स्नान करने से 14 तरह के दान करने जितना पुण्य मिलने का जिक्र है।माघ मास की पौराणिक कथा के अनुसार माघ मास में गौतमऋषि ने इन्द्रेदव को उनके पाप के लिए श्राप दे दिया था। क्षमा याचना करने के बाद उन्हें गौतम ऋषि ने माघ मास में गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने के लिए कहा था। तब इन्द्रदेव ने माघ मास में प्रयागराज में गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्रदेव श्राप से मुक्ति मिली थी। इसलिए इस महीने में माघी पूर्णिमा और माघी अमावस्या के दिन का स्नान पवित्र माना जाता है।