वैसे तो भक्तों के जीवन में माता के अनेक रूपों के चमत्कार तो आए दिन घटते देखा जा सकता है, लेकिन मध्यप्रदेश के दतिया में विराजमान मां पीताबंरा के इस दरबार में भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं, दर्शनार्थियों को मां की प्रतिमा को स्पर्श करने की मनाही है, फिर भी इनके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । ऐसी मान्यता हैं कि मां बगुलामुखी ही मां पीतांबरा देवी हैं इसलिए इन्हें पीली वस्तुएं ही चढ़ाई जाती हैं । यहां पर विशेष अनुष्ठान, जिसमें भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं, इससे मां प्रसन्न होकर कृपा करती हैं ।
मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना भी करते हैं । राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं । 1962 के भारत और चीन युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यहां पर अनुष्ठान कराया था, उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी यहां मौजूद है । इस मंदिर को लेकर हमेशा से नेताओं को भरोसा रहा है । देश के वर्तामान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर राहुल गांधी जैसी अनेक राजनीतिक हस्तियां यहां माता का आशीर्वाद लेने आते हैं ।
मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है । मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खंडेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रूप में पूजा होती है । महादेव के दरबार से बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं । सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बंद ही रहते हैं ।