गणेश चतुर्थी 2019 : विघ्नविनाशक, संकटमोचक श्रीगणेश का ऐसा संपूर्ण परिचय जिसे शायद ही आप जानते होंगे
इस भगवान के अवतार है श्रीगणेश
Brahmavart Puran : ब्रह्मवैवर्त पुराण की में एक बहुत ही रोचक कथा आती है कि माता पार्वती ने पुत्र पाने की कामना से भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण प्रार्थना और आवाहन किया। माता पार्वती के आवाहन पर भगवान श्रीकृष्ण एक बूढ़े ब्राह्मण का रूप धारण कर माता पार्वती के पास पहुंचे और बताया कि नारायण के अवतार श्रीकृष्ण भगवान ही स्वयं आपके पुत्र श्रीगणेश के रूप में अवतार लेंगे।
बूढ़े ब्राह्मण के रूप में आएं श्रीकृष्ण के जाते ही एक बहुत ही सुन्दर बालक माता पार्वती जी के सामने प्रकट हुआ। उस बालक की सुंदरता से मोहित होकर सभी देवता, ऋषि-मुनि और ब्रह्मा-विष्णु भी शिवलोक में दर्शन के लिए पहुंचे। शिव-पार्वती के पुत्र का समाचार सुनकर शिवजी के परम भक्त शनिदेव से रहा ही नहीं गया और वे उस भी सुंदर शिव पुत्र को देखने की इच्छा शिवलोक पहुंच गए।
इसलिए कहते हैं गणेशजी को एकदंत दयावंत बुद्धिमान
लेकिन शनिदेव को उनकी पत्नी का शाप था कि वह जिस किसी पर भी अपनी दृष्ट डालेंगे उसका सिर कट जाएगा। इसलिए शनिदेव ने शिवलोक जाकर भी उस सुंदर बालक को अपनी आंखों से नहीं देखा, इससे माता पार्वती शनि देव के ऐसे व्यवहार से अचंभित हुई और उन्होंने शनिदेव से अपने सुंदर पुत्र को देखने के लिए कहा। शनिदेव ने माता से उस शाप की बात बताई, किंतु पुत्र प्राप्ति की खुशी में माता पार्वती ने शनिदेव का कहा नहीं माना और एक बार देखने को कहा।
शनिदेव ने जैसे ही पार्वती नंदन गणेश की ओर देखा और शनि की दृष्टि शिव पुत्र पर पड़ते ही बालक का सिर कट कर धड़ से अलग हो गया। यह देखते ही सभी अनिष्ट की आशंका से भयभीत हो गए। इस पर भगवान विष्णु जाकर एक हाथी के बच्चे का मस्तक काटकर लाए और उसे श्रीगणेश के मस्तक पर लगा दिया। तब से गणेश जी को गजानन भी कहा जाने लगा।