धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी महालक्ष्मी के 18 पुत्र हैं, जिनके नाम देवसखा, चिक्लीत, आनन्द, कर्दम, श्रीप्रद, जातवेद, अनुराग, सम्वाद, विजय, वल्लभ, मद, हर्ष, बल, तेज, दमक, सलिल, गुग्गुल, कुरूण्टक आदि हैं। ये भी पढ़ेंः Maa Dhumavati Mantra: माता धूमावती के ये 7 मंत्र गरीबी को करेंगे दूर, रोग-शोक से भी दिलाते हैं मुक्ति
माता लक्ष्मी का स्वरूप
श्री लक्ष्मी जी को चतुर्भुज रूप में कमल-पुष्प पर खड़ी या विराजमान मुद्रा में चित्रित किया जाता है। वह अपने ऊपरी दो हाथों में कमल पुष्प धारण करती हैं और उनका अन्य एक हाथ वरद मुद्रा में होता है, जो भक्तों को सम्पत्ति और समृद्धि प्रदान करता है। अंतिम हाथ अभय मुद्रा में होता है, जिसके द्वारा देवी मां भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। देवी लक्ष्मी लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं और स्वर्णाभूषणों से अलंकृत रहती हैं। माता लक्ष्मी के मुखमंडल पर शांति और सुख का भाव होता है। उनके पास दो या चार हाथी होते हैं, जो देवी का जलाभिषेक करते रहते हैं। श्वेत गज और उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है।आदिलक्ष्मीः जो सृष्टि की सर्वप्रथम माता हैं।
धनलक्ष्मीः जो सम्पत्ति प्रदान करती हैं।
धान्यलक्ष्मीः जो अन्न और आहार प्रदान करती हैं।
गजलक्ष्मीः जो शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करती हैं।
सन्तानलक्ष्मी: जो संतान और वंश वृद्धि प्रदान करती हैं।
वीरलक्ष्मी: जो वीरता और साहस प्रदान करती हैं।
विजयलक्ष्मी: जो समस्त प्रकार के शत्रुओं पर विजय प्रदान करती हैं।
ऐश्वर्यलक्ष्मी: जो समस्त प्रकार के भोग-विलास प्रदान करती हैं।
देवी महालक्ष्मी के उपरोक्त आठ स्वरूपों को संयुक्त रूप से अष्टलक्ष्मी के रूप में जाना जाता है। इन आठ स्वरूपों के अतिरिक्त, देवी लक्ष्मी को निन्मलिखित रूपों में भी पूजा जाता है।
सौभाग्यलक्ष्मी: जो सौभाग्य प्रदान करती हैं।
राज्यलक्ष्मी: जो राज्य एवं भू-सम्पत्ति प्रदान करती हैं।
वरलक्ष्मी: जो वरदान प्रदान करती हैं।
धैर्यलक्ष्मी: जो धैर्य प्रदान करती हैं। ये भी पढ़ेंः नौकरी और मान सम्मान चाहिए तो रोज पढ़ें आदित्य हृदय स्तोत्र, रावण पर विजय के लिए भगवान ने किया था पाठ
माता लक्ष्मी के मंत्र
1. लक्ष्मी बीज मन्त्रॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ 2. महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ 3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥