वैसे तो पूरे सावन मास का ही खास महत्व माना जाता है, लेकिन इस बार श्रावण का आखिरी सोमवार भी कई मायनों में खास है। इस बार सावन के आखिरी दिन सोमवार होने के साथ ही इस दिन प्रीति और आयुष्मान योग बन रहा है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में पूजा करने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। इस संबंध में मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
सावन के आखिरी सोमवार के दिन पूर्णिमा तिथि है। इस दिन चंद्रमा के मकर राशि में होने से प्रीति योग बन रहा है। ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक, यह शुभ संयोग सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा।
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इस साल सावन के आखिरी सोमवार को पूर्णिमा तिथि का भी शुभ संयोग बन रहा है। पूर्णिमा और सोमवार के इस अद्भुत संयोग को सौम्या तिथि माना जाता है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में पूजा करने से सफलता हासिल होती है।
व्रत और पूजा विधि
:- प्रातः सूर्योदय से पहले जागें और शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान करें।
:- पूजा स्थल को स्वच्छ कर वेदी स्थापित करें।
:- शिव मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग को दूध चढ़ाएं।
:- फिर पूरी श्रद्धा के साथ महादेव के व्रत का संकल्प लें।
:- दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
:- पूजा के लिए तिल के तैल का दीया जलाएं और भगवान शिव को पुष्प अर्पण करें।
:- मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
:- व्रत के दौरान सावन व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
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:- पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें:- संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें
सावन के दौरान ‘ओम् नमः शिवाय ‘का जाप करें।
रक्षाबंधन और सावन का आखिरी सोमवार एक दिन-
सावन के आखिरी सोमवार को ही रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाएगा। सावन के आखिरी सोमवार और रक्षाबंधन के त्योहार का यह दुलर्भ संयोग है। कहते हैं कि इस दिन उपवास रखने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती धरती का भ्रमण करने के साथ ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।