कब मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (When will monthly Krishna Janmashtami be celebrated)
हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 21 जनवरी 2025 को दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। क्योंकि 21 तारीख की रात्रि को 12 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं अगले दिन 22 तारीख 2025 को दोपहर के 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी तो ऐसे में 21 जनवरी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत और पूजा की जाएगी।व्रत और पूजा के लाभ (Benefits of fasting and worship)
आध्यात्मिक लाभ: इस दिन व्रत और पूजा करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।पूजा विधि (method of worship)
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन फलाहार करें। श्रीकृष्ण की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और वस्त्र, फूल, चंदन आदि से सजाएं और घी का दीप-धूप आदि जलाएं।मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व (Importance of Monthly Krishna Janmashtami)
भगवान श्रीकृष्ण को हिंदू धर्म में विष्णु भगवान के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व इस तथ्य को दर्शाता है कि समस्त संसार के व्यक्तियों को श्रीकृष्ण के जीवन से धर्म पर चलने की सीख लेनी चाहिए। जीवन में कितनी भी मुसीबत आएं लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उनकी आराधना करने और उनके जीवन के आदर्शों को समझने का अवसर प्रदान करता है।पूजा के समय इन मंत्रों का करें जाप (Chant these mantras during puja)
ॐ श्रीकृष्णाय नमः।ॐ कमलानाथाय नमः।
ॐ वासुदेवाय नमः।
ॐ सनातनाय नमः।
ॐ वसुदेवात्मजाय नमः।
ॐ पुण्याय नमः।
ॐ लीलामानुषविग्रहाय नमः।
ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः।
ॐ यशोदावत्सलाय नमः।
ॐ हरये नमः।
ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशङ्खाम्बुजायुधाय नमः।
ॐ देवकीनन्दनाय नमः।
ॐ श्रीशाय नमः।
ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः।
ॐ यमुनावेगसंहारिणे नमः।
ॐ बलभद्रप्रियानुजाय नमः।
ॐ पूतनाजीवितहराय नमः।
ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः।
ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः।
ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः।
ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः।
ॐ नवनीतनटाय नमः।
ॐ अनघाय नमः।
नवनीतनवाहार24
ॐ नवनीतनवाहाराय नमः।
ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः।
ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः।
ॐ त्रिभङ्गिने नमः।
ॐ मधुराकृतये नमः।
ॐ शुकवागमृताब्धीन्दवे नमः।
ॐ गोविन्दाय नमः।
ॐ योगिनां पतये नमः।
ॐ वत्सवाटचराय नमः।
ॐ अनन्ताय नमः।
ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः।
ॐ तृणीकृततृणावर्ताय नमः।
ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः।
ॐ उत्तालतालभेत्रे नमः।
ॐ तमालश्यामलाकृतये नमः।
ॐ गोपगोपीश्वराय नमः।
ॐ योगिने नमः।