राजा शांतनु का परिचय (Introduction of Raja Shantanu)
राजा शांतनु कुरु वंश के राजा थे। वे हस्तिनापुर के महान प्रतापी राजा प्रतीप के पुत्र थे। वह अपनी वीरता और धर्म के लिए दुनिया में प्रसिद्ध थे। शांतनु एक बुद्धिमान और परोपकारी शासक थे। लेकिन उनका जीवन में तब बदलाव देखने को मिला जब उन्होंने पहली बार देवी गंगा को देखा।
गंगा का धरती पर आगमन (Ganga’s arrival on earth)
धार्मिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि देवी गंगा स्वर्ग की अप्सरा थीं। लेकिन दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण उनको पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा। मान्यता है कि दुर्वासा ऋषि ने गंगा से यह भी कहा था कि धरती पर जा कर भी तुम्हारा तेज काम नहीं होगा। तुम धरती के लोगों को मोक्ष प्रदान करोगी। जो कि आज धरती पर एक पवित्र नदी के रूप में बहती हैं।
प्रेम का आरंभ (beginning of love)
मान्यता है कि एक बार राजा शांतनु जंगल में शिकार करने लिए गए थे। तभी राजा को अचानक प्यास लगी और वह पानी की तलाश में निकले। जब वह गंगा किनारे पहुंचे तो उनकी नजर गंगा पर पड़ी। देवी गंगा अनुपम सुंदरता की मूरत थीं। शांतनु उनके सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होंने उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा।
गंगा ने राजा के सामने रखी शर्त (Ganga placed a condition before the king)
गंगा ने राजा शांतनु से विवाह के लिए सहमती बनाने से पहले एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि राजा शांतनु आप मुझसे कभी मेरे कार्यों के बारे में प्रश्न नहीं करेंगे। यदि आप मेरे कार्यों में दखल देंगे या रोक-टोक करेंगे तो मैं आपको छोड़कर चली जाऊंगी। राजा शांतनु ने प्रेमवश इस शर्त को स्वीकार कर लिया।
संतानों का रहस्य (secret of children)
राजा शांतनु और गंगा विवाह के बाद सुखमय जीवन ब्यतीत करने लगे। कुछ समय बाद गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसको गंगा ने नदी में बहा दिया। राजा इस बात को लेकर बड़े आश्चर्यचकित हुए। लेकिन वह पहले ही यह वचन दे चुके थे कि वह गंगा के काम में कभी कोई दखल नहीं देंगे। मान्यता है कि उनके कई पुत्र हुए। लेकिन हर बार गंगा जन्म के तुरंत बाद अपने पुत्र को नदी में बहा देती थीं। जब आठवें पुत्र का जन्म हुआ और गंगा उसे भी नदी में बहाने लगीं। तब शांतनु से सहन नहीं हुआ। उन्होंने गंगा से इसका कारण पूछा।
पुत्रों को बहाने के पीछे रहस्य (The secret behind pretending to have sons)
गंगा ने तब राजा शांतनु को बताया कि उनके पुत्र आठ वसु थे। जिन्हें एक ऋषि ने शाप दिया था कि वे पृथ्वी पर जन्म लेंगे। वसु गंगा से प्रार्थना करते थे कि वे उन्हें इस शाप से मुक्त करें। गंगा ने वचन दिया था कि वे उनके पृथ्वी के बंधन को शीघ्र समाप्त करेंगी। इसलिए वह उनके जन्म के तुरंत बाद उन्हें मुक्त कर रही थीं। आठवें पुत्र जिसे शांतनु ने बचा लिया था। वह आगे चलकर भीष्म नाम से प्रसिद्ध हुए और महाभारत का एक प्रमुख पात्र बने।
गंगा का विदा लेना (bidding farewell to ganga)
शांतनु के शर्त तोड़ने पर गंगा ने अपने वचन के अनुसार राजा को छोड़ दिया। और वह अपने पुत्र को लेकर अलग रहनी लगीं। हालांकि उन्होंने भीष्म का पालन-पोषण किया और उन्हें महान योद्धा बनाया। गंगा का कार्य समझने में कठिन था। लेकिन उनका उद्देश्य महान था।