– इस बात का खासतौर पर ध्यान रखें कि कन्याओं के घर में आने के बाद उन्हें सीधे भोजन करने के लिए नहीं बैठाना चाहिए।
– सबसे पहले उनके पांव अपने हाथ से धुलाएं। फिर पैर पोछ दें।
– अब उन्हें हल्दी, कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
– इसके बाद उन्हें भोजन करने के लिए ऐसे बैठाएं कि उनका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
– यहां ध्यान रखें उनके बैठने का आसन साफ होना चाहिए।
– फिर कन्याओं को खीर, पूड़ी, सब्जी और हलवा चना आदि पकवान परोसें।
– इस बात का भी खास ख्याल रखें कि कन्याओं को खाने के लिए जबर्दस्ती नहीं करनी चाहिए। वे जितना खा पाएं उन्हें उतना ही आदरपूर्वक खिलाना चाहिए।
– भोजन करवाने के बाद कन्याओं के पैर धोकर उन्हें उपहार स्वरूप कोई भी वस्तु दें।
– उपहार में फल, सिक्के, लाल चुनरी, मिठाई, कोई भी एक बर्तन आप दे सकती हैं।
– यदि आप इतना सब नहीं कर सकते हैं, तो कोई भी एक चीज अपने सामथ्र्य के अनुसार देना चाहिए।
– उपहार देने के बाद उनके पैर छुएं और उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें।
इन बातों का रखें खास ख्याल
– कन्या पूजन करते समय कुछ सावधानियां जरूर बरतें। – कन्याओं को जरा भी डांटें नहीं और पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करें। दरअसल वे जिन्हें आप पूज रहे हैं साधारण कन्याएं नहीं बल्कि उन्हें देवी का रूप माना जाता है।
– कन्याओं को इस दिन भूलकर भी बासा भोजन नहीं करवाना चाहिए।
– कन्याओं के लिए जो भोजन बनाएं, उसमें भूलकर भी लहसुन-प्याज का प्रयोग न करें।
– कन्याओं को भोजन करवाने से पहले भोजन को जूठा न करें।
– कन्या पूजन में कन्याओं के साथ गलती से भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।
– 9 कन्याओं के साथ कम से एक बालक जरूर होना चाहिए। जिसे कन्या पूजन में बैठाना चाहिए।
– दरअसल शास्त्रों में बालक को भैरव का रूप माना जाता है।
– कन्याओं के विदा होने के बाद तुरंत साफ-सफाई नहीं करनी चाहिए।
– यदि आपके पास कन्या पूजन करने का वक्त नहीं है या फिर किसी और कारण से आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो, मंदिर में यथाशक्ति भोजन भेजकर दान करवा देना चाहिए।
– कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को बुलाना चाहिए।
– इनकी संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए।
– कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को माता रानी का रूप समझकर पूजा करनी चाहिए।
– मान्यता है कि यदि अविवाहित कन्याएं ऐसा करती हैं तो उनके शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।