कालभैरव जयंती 2019 : पर्व पूजा विधि एवं महत्व
काल भैरव बाबा
शास्त्रों में कथा आती है कि एक बार प्रजापिता ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में भयंकर विवाद हो गया, इन दोनों देवों के विवाद के कारण भगवान शिव शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गये। जब महादेव क्रोधित हुये तो उनके क्रोध से एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ जिसे काल भैरव कहा गया। जिस दिन शिव के क्रोध से अंश रूप में बाबा काल भैरव का जन्म हुआ उस दिन मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से काल भैरव जयंती मनाई जाने लगी।
जानें सबके कष्टों को हरने वाले बाबा काल भैरव के जन्म का अद्भूत रहस्य
काल भैरव पूजन
नारद पुराण में कहा गया है कि काल भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के सात माँ दुर्गा की पूजा करने का विधान भी है। अगर इस दिन रात्रि में बाबा काल भैरव एवं माता महाकाली की विधिवत पूजा भी करना चाहिए। काल भैरव जयंती के व्रत रखना चाहिए। बाबा काल भैरव की कृपा पाने के लिए उनको पंच मेवा अर्थात 5 प्रकार के मिष्ठान्न का भोग पान या पीपल के पत्ते पर रखकर लगाना चाहिए। बाद में उसी भोग को किसी काले कुत्ते को खिला देना चाहिए।
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इस मंत्र का जप करें
काल भैरव जयंती के दिन बाबा काल भैरव के इस तांत्रिक मंत्र का जप 511 बार करने से अनेक कामनाएं पूरी हो जाती है एवं बिगड़ते हुए कार्य भी बनने लगते हैं।
मंत्र-
।। ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
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