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नौकरी और मान सम्मान चाहिए तो रोज पढ़ें आदित्य हृदय स्तोत्र, रावण पर विजय के लिए भगवान ने किया था पाठ

Aditya Hridaya Stotra हिंदू दर्शन में भगवान सूर्य नारायण को प्रत्यक्ष देवता और ज्योतिष में इन्हें आत्मा, पिता, प्रतिष्ठा का कारक माना गया है। मान्यता है कि आदित्य हृदय स्त्रोत के नियमित पाठ से ये आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और इससे नौकरी में पदोन्नति, धन और सफलता मिलती है। किंवदंती है रावण पर विजय के लिए भगवान ने भी इनकी पूजा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया था। आइये पढ़ें संपूर्ण आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य मंत्र।

Feb 19, 2024 / 12:48 pm

Pravin Pandey

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आदित्य हृदय स्तोत्र

Aditya Hridaya Stotra कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आदित्य हृदय स्तोत्र में सूर्य देव की निष्ठापूर्वक उपासना करते हुए उनसे विजयी मार्ग पर ले जाने का अनुरोध किया गया है। अगस्त्य ऋषि ने भगवान श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र प्रदान किया था। आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ मनुष्य को उसके सभी कष्टों से मुक्त करता है। इसका नियमित पाठ मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर विजय प्रदान करता है। आदित्य हृदय स्तोत्र पापों , कष्टों और शत्रुओं से मुक्ति कराता है। यह सर्व कल्याणकारी, दीर्घायु, ऊर्जा और प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला मंगलकारी विजय स्तोत्र है।
॥ आदित्य हृदय स्तोत्रम् ॥
विनियोग
ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य

अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो।

भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया

ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः॥

ततो युद्धपरिश्रान्तंसमरे चिन्तया स्थितम्।

रावणं चाग्रतो दृष्ट्वायुद्धाय समुपस्थितम्॥1॥

दैवतैश्च समागम्यद्रष्टुमभ्यागतो रणम्।
उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्योभगवान् ऋषिः॥2॥

राम राम महाबाहोशृणु गुह्यं सनातनम्।

येन सर्वानरीन् वत्ससमरे विजयिष्यसि॥3॥

आदित्यहृदयं पुण्यंसर्वशत्रुविनाशनम्।

जयावहं जपेन्नित्यम्अक्षय्यं परमं शिवम्॥4॥

सर्वमङ्गलमाङ्गल्यंसर्वपापप्रणाशनम्।

चिन्ताशोकप्रशमनम्आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥5॥

रश्मिमंतं समुद्यन्तंदेवासुरनमस्कृतम्।

पूजयस्व विवस्वन्तंभास्करं भुवनेश्वरम्॥6॥

सर्वदेवात्मको ह्येषतेजस्वी रश्मिभावनः।
एष देवासुरगणाँल्लोकान्पाति गभस्तिभिः॥7॥

एष ब्रह्मा च विष्णुश्चशिवः स्कन्दः प्रजापतिः।

महेन्द्रो धनदः कालोयमः सोमो ह्यपां पतिः॥8॥

पितरो वसवः साध्याह्यश्विनौ मरुतो मनुः।

वायुर्वह्निः प्रजाप्राणऋतुकर्ता प्रभाकरः॥9॥

आदित्यः सविता सूर्यःखगः पूषा गभस्तिमान्।

सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेतादिवाकरः॥10॥
हरिदश्वः सहस्रार्चिःसप्तसप्तिर्मरीचिमान्।

तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टामार्ताण्ड अंशुमान्॥11॥

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोभास्करो रविः।

अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रःशङ्खः शिशिरनाशनः॥12॥

व्योमनाथस्तमोभेदीऋग्यजुःसामपारगः।

घनवृष्टिरपां मित्रोविन्ध्यवीथीप्लवङ्गमः॥13॥

आतपी मण्डली मृत्युःपिङ्गलः सर्वतापनः।

कविर्विश्वो महातेजाःरक्तः सर्वभवोद्भवः॥14॥

नक्षत्रग्रहताराणामधिपोविश्वभावनः।

तेजसामपि तेजस्वीद्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते॥15॥
नमः पूर्वाय गिरयेपश्चिमायाद्रये नमः।

ज्योतिर्गणानां पतयेदिनाधिपतये नमः॥16॥

जयाय जयभद्रायहर्यश्वाय नमो नमः।

नमो नमः सहस्रांशोआदित्याय नमो नमः॥17॥

नम उग्राय वीरायसारङ्गाय नमो नमः।

नमः पद्मप्रबोधायमार्ताण्डाय नमो नमः॥18॥

ब्रह्मेशानाच्युतेशायसूर्यायादित्यवर्चसे।

भास्वते सर्वभक्षायरौद्राय वपुषे नमः॥19॥
तमोघ्नाय हिमघ्नायशत्रुघ्नायामितात्मने।

कृतघ्नघ्नाय देवायज्योतिषां पतये नमः॥20॥

तप्तचामीकराभायवह्नये विश्वकर्मणे।

नमस्तमोऽभिनिघ्नायरुचये लोकसाक्षिणे॥21॥

नाशयत्येष वै भूतंतदेव सृजति प्रभुः।

पायत्येष तपत्येषवर्षत्येष गभस्तिभिः॥22॥

एष सुप्तेषु जागर्तिभूतेषु परिनिष्ठितः।

एष एवाग्निहोत्रं चफलं चैवाग्निहोत्रिणाम्॥23॥

वेदाश्च क्रतवश्चैवक्रतूनां फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषुसर्व एष रविः प्रभुः॥24॥

एनमापत्सु कृच्छ्रेषुकान्तातेषु भयेषु च।

कीर्तयन् पुरुषःकश्चिन्नावसीदति राघव॥25॥

पूजयस्वैनमेकाग्रोदेवदेवं जगत्पतिम्।

एतत् त्रिगुणितं जप्त्वायुद्धेषु विजयिष्यसि॥26॥

अस्मिन् क्षणे महाबाहोरावणं त्वं वधिष्यसि।

एवमुक्त्वा तदागस्त्योजगाम च यथागतम्॥27॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजानष्टशोकोऽभवत्तदा।

धारयामास सुप्रीतोराघवः प्रयतात्मवान्॥28॥

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वातु परं हर्षमवाप्तवान्।

त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वाधनुरादाय वीर्यवान्॥29॥

रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मायुद्धाय समुपागमत्।

सर्वयत्नेन महता वधेतस्य धृतोऽभवत्॥30॥

अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामंमुदितमनाः परमं प्रहृष्यमाणः।

निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वासुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति॥31॥
॥ इति आदित्यहृदयम् मन्त्रस्य ॥

(नोट-इस आलेख में दी गई जानकारियों पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं, www.patrika.com इसका दावा नहीं करता। इसको अपनाने से पहले और विस्तृत जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।)

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