Thursday before DevShayani Ekadashi: हिन्दू धर्म में हर व्रत की मान्यता, महत्व व कथा अलग अलग है। इन्हीं व्रतों में से एक महत्वपूर्ण व्रत है, एकादशी का व्रत… यह व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु का होता है।
मान्यता है कि एकादशी का व्रत हर व्यक्ति को करना चाहिए, क्योंकि इस व्रत को करने से जीवन में पैसों की कमी नहीं होती। लेकिन इसको करते समय आपका भगवान के उपर श्रृद्धा और पूर्ण विश्वास होना चाहिए। इसके साथ ही इस समय मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए। दरअसल हर साल चौबीस एकादशी होती हैं। वहीं जब अधिकमास आता है, तब इनकी संख्या 26 हो जाती है।
वहीं इस संबंध में पंडित एके शुक्ला का कहना है कि जहां एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय मानी गईं हैं। वहीं सप्ताह में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और इस साल यानि 2021 में भगवान विष्णु के निद्रा में जाने से पहले का आज यानि 15 जुलाई 2021 को आखिरी गुरुवार है।
पंडित शुक्ला के अनुसार इसके तहत भगवान विष्णु की इस गुरुवार को नियम के अनुसार पूजा तो की ही जानी चाहिए, लेकिन इसके अलावा यदि आप कोई खास आशीर्वाद चाहते हैं, तो ये उपाय इसमें आपके लिए मददगार सिद्ध हो सकते हैंं।
: अगर प्रमोशन या रोजगार संबंधी बाधा आ रही हो तो इस गुरुवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुएं जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपड़े इत्यादि का दान करें।
: जीवनसाथी की तलाश के तहत गुरुवार को केले के वृक्ष पर जल अर्पित करके शुद्ध घी का दीपक जलाकर गुरु के 108 नामों का उच्चारण करें, इच्छा जल्द पूर्ण होगी।
: यदि आपके व्यवसाय में बाधाएं चल रही हैं, तो इस गुरुवार को पूजाघर में हल्दी की माला लटकाएं, अपने कार्यस्थल पर पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें और भगवान लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में लड्डू का भोग लगाएं।
: शीघ्र विवाह के लिए बृहस्पतिवार का व्रत रखें और विशेष रूप से इस दिन पीले कपड़े पहनें और भोजन में भी पीली चीजों का सेवन करें।
: अगर घर में दरिद्रता का नाश करना हो तो बृहस्पतिवार के दिन घर के सदस्य खासतौर पर महिलाएं बाल न धोएं, साथ ही नाखून भी न काटें।
दरअसल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। वहीं कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के कर्क राशि में आने पर यह एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है।
पंडित शुक्ला के अनुसार इसके लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। इसलिए इस एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं।
ऐसे में भगवान विष्णु की निद्रा अवस्था के दौरान सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। वहीं इस दौरान यह उचित होता है कि भगवान के शयन से पहले ही उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लिया जाए।
इसी के तहत देवशयनी एकादशी से ठीक पहले पड़ने वाले गुरुवार को भगवान विष्णु का दिन होने के चलते इस दिन भगवान की विशेष पूजा करनी चाहिए। ताकि उनके इस निद्रा काल के दौरान भी उनका आशीर्वाद बना रहे।
Must Read- कब होगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार, जानें कुछ खास रहस्य गुरुवार को ये न करें… 1.गरुण पुराण के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान के सामने दीपक जलाना शुभ माना जाता है, लेकिन इस दिन कभी भी सरसों के तेल का दीपक न जलाएं। क्योंकि ये उग्र ग्रहों के पूजन में काम आता है। गुरुवार के दिन देसी घी का दीपक जलाना चाहिए।
2.गुरुवार के दिन दीपक हमेशा जोड़े की संख्या में रखें। जैसे- दो, चार, छह आदि। मगर विषम संख्या में दीपक न जलाएं। ऐसा करने से शुभ की जगह अशुभ फल मिल सकते हैं। 3. गुरुवार का व्रत रखने वालों को इस दिन कभी भी किसी से लड़ाई नहीं करनी चाहिए और न ही किसी को अपशब्द कहने चाहिए। ऐसा करने से भगवान नाराज होंगे और आपके कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं।
4.गुरुवार के दिन पूजा करते समय शोर शराबे की जगह न बैठे और न ही कलह के माहौल में पूजा करें। क्योंकि भगवान की पूजा पूर्ण निष्ठा से करनी चाहिए। 5. भगवान विष्णु जी की पूजा करते समय काले कपड़े कभी न पहनें। क्योंकि ये क्रूर ग्रह को दर्शाता है। इससे नकारात्मकता आ सकती है।
See This : Lord Vishnu Temple 6.बृहस्पतिवार को कभी भी बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान न करें। क्योंकि ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं। इससे धन के नाश समेत दुर्भाग्य आ सकता है।
7. गुरुवार के दिन कभी घर में पोंछा न लगाएं। ऐसा करने से धन का नाश हो सकता है। क्योंकि इससे मां लक्ष्मी घर से जा सकती हैं। 8. गुरुवार के दिन कभी भी किसी से उधार न लें और न ही रुपयों का लेनदेन करें। ऐसा करने से धन संबंधित दिक्कतें आ सकती हैं।
9.गुरुवार के दिन कभी भी किसी भिखारी को झूठा या बासी भोजन न दें। ऐसा करने से आपके घर दरिद्रता आ सकती है। 10.गुरुवार के दिन कभी भी देर से सोकर नहीं उठना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से भगवान अप्रसन्न होते हैं। इससे व्यक्ति का भाग्य उसका साथ देना बंद कर सकता है।