वेदों, उपनिषदों व धार्मिक ग्रंथों में सूर्यदेव के महिमा का वर्णन मिलता है। पुराणों में सूर्यदेव की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है।
मान्यता है कि रविवार को सूर्यदेव की विशेष आराधना करने से व्यक्ति के भाग्य में राजयोग का निर्माण होता है। इस दिन सुबह स्नान आदि कर तांबे के लोटे से सूर्यदेव को गायत्री मंत्र पढ़ते हुए जल चढ़ाने से हर परेशानी दूर होने लगती है।
शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके और शाम के समय पश्चिम की ओर मुख करके सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय गिरने वाले जल वज्र बनकर रोग का विनाश करते हैं।
कुंडली में सूर्य की स्थिति:
ज्योतिषचार्यों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो रविवार को सूर्य के लिए विशेष उपाय करना चाहिए। रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके बाद धूप, दीप से पूजन करें।
घर में धन की हानि हो रही है या घर में कलह का वातावरण है? ये सब आग्नेय कोण के की वजह से हो सकता है। बिना तोड़ फोड़ के आग्नेय कोण के उपाय के संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि…
1. रविवार को सुबह घर से किसी काम के लिए निकलने से पहले गाय को रोटी दें। संभव हो तो रविवार के दिन गाय की पूजा करें।
2. रविवार के दिन एक पात्र में जल लेकर उसमें कुमकुम डालकर बरगद के वृक्ष पर चढ़ाएं।
रविवार के दिन सुबह घर से निकलने से पहले घर के सभी सदस्य अपने माथे पर चन्दन तिलक लगाएं।
3. मछलियों को आटे की गोली बनाकर रविवार के दिन खिलाएं।
4. चींटियों को खोपरे व शक्कर का बूरा मिलाकर खिलाएं।
5. शुद्ध कस्तूरी को चमकीले पीले कपड़े में लपेटकर रविवार के दिन अपनी तिजोरी में रखें।
इन उपायों को पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है।
7. व्रत कर एक समय का भोजन बिना नमक का करें।
रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करे इसके बाद पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पवित्र मन से नीचें दिए हुए सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह मंत्र ‘राष्ट्रवर्द्धन’ सूक्त से लिए गए है। साथ ही अपने माथें में लाल चंदन से तिलक लगाए।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।। या फिर इस मंत्र का जाप करें- ‘उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।
यह भी हैं सूर्य देव को खुश करने के उपाय :
1. रविवार के दिन बरगद(बड़) के पत्ते पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
2. रविवार के दिन धन संबंधी कार्य न करें, इससे घर में दरिद्रता आती है।
3. रविवार के दिन सुर्यदेव को जल अवश्य चढ़ाऐं तथा सुर्य उपासना करें।
5. रविवार के दिन काली हल्दी की एक गांठ शुभ मुहूर्त में प्राप्त कर अपने घर में, व्यवसायी अपने कैश बॉक्स में तथा व्यापारी अपने गल्ले में रखें, कार्य में सफलता मिलेगी।
6. आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः।। सूर्य का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।
सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का उपयोग करें। लाल चंदन और लाल फूल की व्यवस्था रखें। एक दीपक लें। लोटे में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन का पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक और लोटा रख लें।
भारत के सनातन धर्म में पांच देवों की आराधना का महत्व है। आदित्य (सूर्य), गणनाथ (गणेशजी), देवी (दुर्गा), रुद्र (शिव) और केशव (विष्णु)। इन पांचों देवों की पूजा सब कार्य में की जाती है। इनमें सूर्य ही ऐसे देव हैं जिनका दर्शन प्रत्यक्ष होता रहा है। सूर्य के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक रोगों से निवारण मिलता है। शास्त्रों में भी सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है।
अघ्र्य दो प्रकार से दिया जाता है। संभव हो तो जलाशय अथवा नदी के जल में खड़े होकर अंजली अथवा तांबे के पात्र में जल भरकर अपने मस्तिष्क से ऊपर ले जाकर स्वयं के सामने की ओर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। वहीं दूसरी विधि में अघ्र्य कहीं से भी दिया जा सकता है। नदी या जलाशय हो, यह आवश्यक नहीं है।
MUST READ : अंक ज्योतिष – इन मूलांक वालों के लिए बेहद खास रहेगा ये साल 2020