गुरु पूर्णिमा का महत्व (Ashadh Purnima Mahatv)
ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त का पाठ, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। भविष्य पुराण के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा को विधिवत शिव की पूजा-अर्चना करने से सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।ऋषि पाराशर और देवी सत्यवती के यहां पुत्र के रूप में वेद व्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। भगवान गणेश के कहने पर उन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की। इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर जहां साईं बाबा की पालकी निकलेगी वहीं जगह-जगह चरण पादुका पूजन के साथ ही सामूहिक दीक्षा के कार्यक्रम भी होंगे।
गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त (auspicious yogas on Guru Purnima)
सुबह का मुहूर्त: सुबह 05:16 से 07:14 बजे तक (गंगा स्नान)दोपहर का मुहूर्त: सुबह 11:15 से 1:23 बजे तक
शाम का मुहूर्त: शाम 6:16 से 7:55 बजे तक गुरु पूजन किया जा सकता है।
प्रीति योगः पूर्णिमा से अगले दिन 22 जुलाई शाम 5.58 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 21 जुलाई को सुबह 05:46 बजे से 22 जुलाई को सुबह 12:14 (रात में) बजे तक
अमृत योगः 21 जुलाई को शाम 6.40 बजे तक
गुरु पूर्णिमा पर पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें, इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ करें।
- भगवान वेद व्यास और अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें और दीप प्रज्ज्वलित करें, धूप-बत्ती लगाएं।
- फूल, फल और मिठाई अर्पित करें और गुरु मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
- गुरु पूर्णिमा के दिन दान करना भी अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। गरीबों, ब्राह्मणों या किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को दान दिया जा सकता है।