भविष्यवाणी करने वाला जादुई गणेश यंत्र, हर समस्या का हो जाता है समाधान
इन विशेष 20 पेड़ की पत्तियों को इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्रीगणेश जी को अर्पित करें। इनकों अर्पित करने से पूर्व 108 बार ॐ गं गणपतये नम: इस मंत्र का जप करें।
1- सुमुखायनम: स्वाहा कहते हुए शमी पत्र अर्पित करें।
2- गणाधीशायनम: स्वाहा भंगरैया पत्र अर्पित करें।
3- साथ ही उमापुत्राय नम: बिल्वपत्र।
4- गज मुखायनम: दूर्वादल अर्पित करें।
5- लम्बोदराय नम: बेर पत्र अर्पित करें।
6- हरसूनवे नम: धतूरा पत्र अर्पित करें।
7- शूर्पकर्णाय नम: तुलसी दलअर्पित करें।
8- वक्रतुण्डाय नम: सेम पत्र अर्पित करें।
9- गुहाग्रजाय नम: अपामार्ग पत्र अर्पित करें।
10- एक दंतायनम: भटकटैया पत्र अर्पित करें।
10- हेरम्बाय नम: सिंदूर वृक्ष पत्र अर्पित करें।
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11- चतुर्होत्रे नम: तेजपात के पत्र अर्पित करें।
12- सर्वेश्वराय नम: अगस्त पत्र अर्पित करें।
13- विकराय नम: कनेर पत्र अर्पित करें।
14- इभतुण्डाय नम: अश्मात पत्र अर्पित करें।
15- विनायकाय नम: मदार पत्र अर्पित करें।
16- कपिलाय नम: अर्जुन पत्र अर्पित करें।
17- बटवे नम: देवदारु पत्र अर्पित करें।
18- भालचंद्राय नम: मरुआ अर्पित करें।
19- सुराग्रजाय नम: गांधारी पत्र अर्पित करें।
20- सिद्धि विनायकाय नम: केतकी पत्र से अर्पण करें।
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श्री गणेश पुराण के खेल खण्ड में उल्लेख है आता है कि -हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गौरी नंदन गणपति जी को इन सोलह प्रमुख नामों से जाना और पूजा जाता है- सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज, द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्ब एवं गजानन आदि।
यहां होता था गणेश जी का रक्त (खून) से अभिषेक, अब खून की जगह इस चीज से होता है अभिषेक
भगवा श्री गणेश जी के चार प्रमुख वाहन
1- सत युग में दस भुजाओं वाले, तेजस्वरूप तथा समस्त वर देने वाले जिनका नाम विनायक है होता है और उनका वाहन सिंह होता है।
2- त्रेता युग में श्वेत वर्ण तथा तीनों लोकों में वे मयूरेश्वर नाम से विख्यात हैं जो छ: भुजाओं वाले हैं और उनका वाहन मयूर होता है।
3- द्वापर युग में लाल वर्ण, चार भुजाओं वाले जिनका नाम गजानन और मूषक वाहन पर विराजमान होते हैं।।
4- कलि युग में धूम्रवर्ण, दो हस्त वाले जिनका नाम धूम्रकेतु जो घोड़े पर विराजमान होते हैं।
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