पौराणिक मान्यताओं में भी अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पितरों के मोक्ष के लिए फाल्गुन अमावस्या विशेष है। पितरों के लिए दान, तर्पण और श्राद्ध आदि अमावस्या के दिन किया जाता है, माना जाता है कि इससे पितरों की कृपा होती है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस बार फाल्गुन अमावस्या का व्रत अत्यंत विशेष माना जा रहा है। इसका कारण ये है कि इस बार फाल्गुन अमावस्या पर शिव और सिद्ध योग का खास संयोग बन रहा है। मान्यता के अनुसार इन योगों में किए गए व्रत और पूजा का जातकों को दोगुना फल प्राप्त होगा।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार पवित्र नदियों में फाल्गुन अमावस्या पर देवी-देवता निवास करते है। इसी कारण इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान को विशेष महत्व दिया गया है। सोमवार के दिन फाल्गुन अमावस्या होने पर महाकुम्भ स्नान के योग का निर्माण होता है, जिसे अनंत फलदायी माना गया है। अमावस्या के दिन भगवान शिव शंकर, भगवान श्री कृष्ण और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है।
फाल्गुन अमावस्या 2022 के विशेष मुहूर्त (Falgun Amavasya 2022 Muhurat)
फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत मंगलवार-बुधवार की मध्यरात्रि 02 मार्च को 01:03 AM से होगा। वहीं इस दौरान महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि का समापन होगा। वहीं फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन बुधवार, 02 मार्च को रात 11:04 PM पर होगा। उदया तिथि होने के कारण फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च को माना जाएगा।
फाल्गुन अमावस्या 2022 के विशेष योग
ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार फाल्गुन अमावस्या 2022 में दो शुभ योग बन रहे हैं। इसके तहत जहां फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 08:21 AM तक है। वहीं इसके ठीक सिद्ध योग शुरु होगा, जो 03 मार्च को सुबह 05:43 AM तक रहेगा।
फाल्गुन अमावस्या पर ये करें
1- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करना चाहिए साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों को तर्पण भी करना चाहिए।
2- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना चाहिए इसके अलावा किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा भी देनी चाहिए।
3- अमावस्या पर शाम के समय पीपल के नीचे एक दीपक सरसों के तेल का लगाना चाहिए और पितरों का स्मरण भी करना चाहिए। इसके पश्चात पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा भी लगानी चाहिए।
4- इस दिन रुद्र, अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन कर उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए इसके पश्चात खुद भी इन पदार्थों का दिन में एक बार सेवन करना चाहिए।
5- इसके अलावा इस दिन गाय के कच्चे दूध, दही और शहद से शिव मंदिर में शिवजी का अभिषेक करने के अलावा भगवान शिव को काले तिल अर्पित करने चाहिए।