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सूर्यदेव ऐसे करते हैं हमारी जिंदगी प्रभावित, ऐसे समझें

ज्योतिष में सूर्य आत्मा का कारक…

May 02, 2020 / 03:20 pm

दीपेश तिवारी

blessing of suryadev

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सूर्य को हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में देवता माना गया है, वहीं सूर्य को समस्त जीव-जगत में आत्मा स्वरूप माना गया हैं। सूर्य से ही व्यक्ति को जीवन, ऊर्जा एवं बल की प्राप्ति होती है।

मान्यता के अनुसार सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। माता का नाम अदिति होने के कारण सूर्य का एक नाम आदित्य भी है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है।

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। वहीं इसका रत्न माणिक्य माना गया है।

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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार जन्मकुंडली में 2 या 2 से अधिक ग्रहों के योग को युति योग कहते हैं। योग 3 प्रकार के होते हैं। शुभ योग, अशुभ योग और राजयोग। जानकारों के अनुसार ग्रहों के योग का फल संबंधित ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा में ही मिलता है।

यदि योग में ग्रह 1 से ज्यादा हैं तो जिस ग्रह की दशा पहले आएगी उस दशा में योग का फल मिलेगा। योग का फल ग्रहों के बल शुभ और अशुभ स्थान तथा कारक तत्व पर निर्भर करता है।

ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना जाता है। आपकी सफलता से लेकर आपकी बदनामी तक हर जगह प्रसिद्धि से जुड़े मामलों में सूर्य का बहुत योगदान माना जाता है।

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सूर्य के अन्य ग्रहों की युति के संबंध में मान्यता है कि…
1.कुंडली में सूर्य व चंद्र की युति किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति कुशल व्यापारी और छोटी सोच वाला हो सकता है। ये इन ग्रहों की दशा में ही अनुभव होगा।

2. सूर्य-मंगल की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति कभी-कभी झूठ भी बोलता है। ऐसे लोग भाइयों से अच्छे संबंध रखने वाले और बलवान होते हैं।

3.सूर्य-बुध की युति कुंडली के किसी भी घर में हो तो व्यक्ति विद्वान, सम्मान प्राप्त करने वाला, श्रेष्ठ प्रवक्ता और स्थाई संपत्ति का मालिक होता है।

4.सूर्य और गुरु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति सम्मान पाने वाला, अच्छे मित्रों वाला, धनवान, शिक्षक और फेमस होता है।

5.सूर्य-शुक्र की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति शास्त्रों का जानकार, नृत्य कला में पारंगत, आंखों का रोगी, कुशल कार्य करने वाला होता है।

6.सूर्य-शनि की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति विद्वान होता है। स्त्री और पुत्र से मतभेद हो सकते हैं।

7.सूर्य-राहु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति मानसिक समस्या से ग्रसित, जिद्दी तथा भ्रमित रहने वाला होता है।

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8.सूर्य-केतु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति आंखों का रोगी, जिद्दी, ठीक से काम करने वाला, समझदार और सम्मानित होता है।
एक ओर जहां श्रीराम सूर्यवंशी थे, वहीं हनुमानजी ने भगवान सूर्य से शिक्षा प्राप्त की थी। इन्हे आदि पंच देवों में से कलयुग का एक मात्र दृश्य देव भी माना जाता है।

ऐसे करें सूर्य देव को प्रसन्न
1. रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करे इसके बाद पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पवित्र मन से नीचें दिए हुए सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।

2. जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर चल रहा हो या अन्य किसी ग्रह की प्रतिकूलता चल रही हो अथवा कोई सरकारी कामकाज अटका हुआ हो, कार्यस्थल पर अधिकारियों से अनबन चल रही हो अथवा व्यापार सही नहीं चल रहा हो। उन सभी को प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाने से तुरंत लाभ मिलता है।

इसके अतिरिक्त जिन्हें जेल जाने या नौकरी छूटने का डर हो, उन्हें भी सूर्याराधना तुरंत लाभ देती है। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए सदैव तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए। तांबा भी सूर्य की ही धातु है। जल में चावल, रोली, फूल पत्तियां आदि डाल लेने चाहिए। इसके बाद जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करें। गायत्री मंत्र के अतिरिक्त आप भगवान सूर्य के 12 नामों का भी जाप कर सकते हैं ये 12 नाम इस प्रकार हैं-
“आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।।”

सूर्य को अध्र्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्य को देखना चाहिए, इससे आंखों की रोशनी तेज होती है। अध्र्य देने के बाद जमीन पर गिरे पानी से चरणामृत का पान करें तथा अपने मस्तक पर लगाएं। साथ ही आप सूर्यदेव को अपनी मनोकामना बताएं तथा उनसे इच्छापूर्ति का वरदान देने की प्रार्थना करें, कुछ ही समय में आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी।

3. सूर्योदय समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। दरिद्रता व अन्य नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।

4. सूर्य अदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ अत्यधिक चमत्कारी व प्रभावशाली हैं। शत्रुदमन, रोग शमन, और भय से मुक्त करता है।

5. सूर्य भगवान को नित्य अष्टांग नमन करना चाहिये। ऐसा करने से शारीरिक व मानसिक व्याधियां लुप्त हो जाती हैं।

6. रविवार के दिन या सूर्योदय के समय में बहते जल में गुड प्रवाहित करने से दोषकारी सूर्य प्रभावित नही करता तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है।

7. पिता के विरोध में कोई कार्य न करें तथा माता-पिता की उचित सेवा करें।

8. सूर्य भगवान के बीज मन्त्रों का जाप आपकों अत्यधिक लाभ दे सकता है। नित्य एक माला का जाप करना चाहिये। सूर्य भगवान के प्रमुख बीज मंत्र-
– ओम घृणी सूर्याय नम:
– ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
– ऊँ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ स: सूर्याय नम:।
– ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।

9. गेंहूं, लाल और पीले मिले हुए रंग के वस्त्र, लाल मिठाई, सोने के रबे, गुड और तांबा धातु ये सभी सूर्य की वस्तुएं हैं इनका दान करने से सूर्य भगवान की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं।

10. रविवार या सप्तमी तिथि को सूर्य की लाल फूलों या सफेद कमल से पूजा, व्रत-उपवास रखने से सूर्य कृपा इंसान को तमाम ख्याति, सफलता व सुखों से समृद्ध कर देती है।

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