इंदौर-धार रेल मार्ग में पीथमपुर, धार, तिरला होंगे मुख्य स्टेशन
इंदौर-धार रेल मार्ग में पीथमपुर, धार, तिरला होंगे मुख्य स्टेशन
इंदौर-धार रेल मार्ग में पीथमपुर, धार, तिरला होंगे मुख्य स्टेशन
– तीन साल में इंदौर-धार रेल पूर्ण होने की संभावना
पत्रिका लगातार
सर्वज्ञ पुरोहित
धार.
इंदौर से दाहोद के बीच लगभग 19 छोटी-बड़ी पुल-पुलिया, 4 किलोमीटर लंबी सुरंग के साथ कई स्थानों पर पहाड़ के ऊपर तो कुछ फोरलेन के किनारे-किनारे रेलवे लाईन का निर्माण कार्य चल रहा है। विशेष तौर पर इंदौर से राऊ के मध्य तो पहले से ही रेलवे लाईन अस्तित्व में थी, लेकिन २००८ में हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा किए गए शिलान्यास के बाद 6 वर्षों में ही राऊ से टीही तक रेलवे पटरियां बिछ गई और उन पर से आज तक पीथमपुर से कई कंटेनर वाय राऊ, इंदौर से आगे कई जगह पहुंच रहे है। इसके कारण पीथमपुर-इंदौर के मध्य सड़क मार्ग पर पहले गुजरने वाले भारी भरकम ट्रॉलों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है। जब यह रेलवे लाईन मंजूर हुई थी तब पीथमपुर, सागरकुटी, इंडोरामा अस्तित्व में नहीं थे तो रेलवे लाईन सीधे-सीधे टीही से धार तक सड़क मार्ग के समांतर आ जाती और उसकी लागत भी कम रहती। लेकिन इस परियोजना को मूर्त रूप देने में लगभग २० वर्षों का समय लग गया तो रेलवे विभाग को पुन जमीन सर्वेक्षण करना पड़ गया। जिसके तहत उन्होंने पीथमपुर की बसाहट को बगैर छेड़े लगभग ४ किलोमीटर लंबी रेलवे सुरंग का खाका तैयार किया और उस पर कार्य करना शुरू कर दिया, जो आज तारीख तक लगभग 800 मीटर तक बन चुकी है और सुरंग का तेजी से निर्माण कार्य जारी है। रेलवे विभाग को इस सुरंग से धार तक अर्थवर्क करने में कोई कठिनाई नहीं आई। क्योंकि उन्होंने सागौरकुटी, इंडोरामा से तीन-चार किलोमीटर दूर खाली खेतों में से रेलवे लाईन कार्य चालू कर दिया है,जो आज तक जारी है।
इस ट्रेक में इंदौर से तिरला तक आने वाले प्रमुख गांव व स्टेशन
राऊ, टीही, पीथमपुर, बिचोली, अकोलिया, सुलावड़, बकसाना, गुणावद, उटावद, नौगांव, आर्थर, तिरला प्रमुख है। जिसमें से मुख्य स्टेशन पीथमपुर, धार, तिरला होंगे। जहां एक ओर पीथमपुर से पूरा औद्योगिक क्षेत्र कवर होगा। वहीं धार और तिरला से संपूर्ण जिले किसान अपनी उपज मध्यप्रदेश के बाहर कही भी आसानी से भेज सकेंगे और धार, झाबुआ आदिवासी अंचल के मजूदर भी कही भी जाकर मजदूरी कर सकेंगे। स्टेशन में माल गाडिय़ों के लिए अलग व्यवस्था रहेगी और सवारियों के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी। संभावना है कि इसी धार रेलवे स्टेशन पर इंदौर में आने वाली सभी एक्सप्रेस गाडिय़ों का रात्रि विश्राम व रखरखाव की अलग व्यवस्था होगी, इसी कारण इसकी लंबाई २ हजार मीटर और चौड़ाई १२५ मीटर रखी गई है। जबकि तिरला रेलवे स्टेशन की लंबाई १२०० मीटर और चौड़ाई ३०० मीटर है।
फिर से कैसे शुरू हुई इंदौर-दाहोद, इंदौर-धार परियोजना की कवायदें
रेल लाओ समिति के पूर्व संयोजक और प्रवक्ता डॉक्टर दीपक नाहर ने बताया कि सन २००७ में जहां एक ओर रेल लाओ समिति अपने आंदोलन और ज्ञापनों के माध्यम से सरकार और प्रशासन पर आक्रमक थी तो दूसरी ओर तत्कालीन सांसद छतरसिंह दरबार ने भी लोकसभा में रेल की आवाज गुंजाकर इस परियोजना को वापस चालू करने की मांग कर डाली। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव ने फैसला कर लिया कि धार-झाबुआ के आदिवासी अंचलों में इन दोनों लाईनों का शिलान्यास कर दिया जाए और अंत यह दोनों 8 फरवरी २००८ को झाबुआ में अपने दल बल के साथ शिलान्यास कर २०११ में रेल दौड़ाने की प्रतिज्ञा कर गए।
डॉक्टर नाहर ने बताया कि केंद्र की कांग्रेस सरकार और प्रदेश भाजपा सरकार में २०१४ तक ठीक से सामान्जस्य नहीं बैठ पाया और मात्र इन दोनों लाइनों का २५ प्रतिशत ही काम हो पाया। लेकिन २०१४ के बाद केंद्र और राज्य दोनों में एक ही पार्टी की सरकार होने से इसे इन दोनों रेल परियोजना का कार्य धीरे-धीरे गति पकडऩे लगा, जो आज २०१९ तक केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकार होने के बावजूद जारी है। इस बार राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र भाजपा सरकार दलिय राजनीति से ऊपर उठकर इस परियोजना को अंतिम रूप देने जा रहे है। जिसके फलस्वरूप जहां एक ओर अलीराजपुर और छोटा उदयपुर के बीच रेल गत दिवस शुरू हो गई है। वहीं दूसरी ओर धार-इंदौर के मध्य ५० प्रतिशत से अधिक कार्य हो चुका है। शेष ५० प्रतिशत कार्य २ वर्ष में पूर्ण होने की संभावनाएं बताई जा रही है।
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