आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने शुरूआत से यहां पर आदिवासी क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने से वह जीतती रही। 1972 से लेकर 1980 तक यहां पर कांग्रेस के प्रतापङ्क्षसह बघेल विधायक रहे। इसके बाद 1985 में कांग्रेस ने जमुना देवी को टिकट दिया और उनका सामना भाजपा के बाबूङ्क्षसह मोहन ङ्क्षसह से हुआ। इसमें जमुना देवी 12 हजार 661 वोटों से विजयी रही। यहां से बीजेपी सिर्फ दो बार ही चुनाव जीती है।
1990 में रंजना बघेल जीती थी चुनाव
कांगेस को इस सीट पर पहली बार झटका 1990 में हुए चुनाव में लगा। जब भाजपा की रंजना बघेल ने जमुना देवी को पराजित किया था। इसके बाद से कांग्रेस की जमुनादेवी यहां से चुनाव जीतती रहीं। जमुना देवी का 2010 में निधन हो गया। 2011 में हुए उपचुनाव में भाजपा के मुकामङ्क्षसह कराड़े चुनाव जीते। इसके बाद 2013 के कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह बघेल को टिकट दिया। उन्होंने भाजपा के मुकाम सिंह किराड़े को 42 हजार 768 वोटों के बड़े अंतर से हराया। फिर 2018 में सुरेंद्रङ्क्षसह बघेल को कांग्रेस ने टिकट दिया। इसमें उन्होंने भाजपा के वीरेंद्र सिंह बघेल को हराया।
जमुनादेवी यहां से पांच बार विधायक रही
जमुनादेवी 1985 में कांग्रेस से प्रत्याशी को तौर पर कुक्षी विधानसभा में चुनाव लड़ी और चुनाव जीता। इसके बाद 1993, 1998,2003 और 2008 में कुक्षी सीट से फिर से कांग्रेस ने जमुनादेवी पर विश्वास जताया और यहां से लगातार विधायक बनी।
अब तक रहे विधायक
वर्ष – नाम – पार्टी
– 1972- प्रताप सिंह बघेल – कांग्रेस
– 1977- प्रताप सिंह बघेल – कांग्रेस
– 1980 – प्रताप सिंह बघेल – कांग्रेस
– 1985 – जमुनादेवी – कांग्रेस
– 1990 – रंजना बघेल – भाजपा
– 1993 – जमुनादेवी – कांग्रेस
– 1998 – जमुनादेवी – कांग्रेस
– 2003 – जमुनादेवी – कांग्रेस
– 2008 – जमुनादेवी – कांग्रेस
– 2091- (उपचुनाव) मुकाम सिंह -भाजपा
– 2013- सुरेंद्र सिंह बघेल- कांग्रेस
– 2018 – सुरेंद्र सिंह बघेल – कांग्रेस