सावित्री ठाकुर के पिता अंतरसिंह दरबार वन विभाग में कर्मचारी थे। परिवार में पति तुकाराम खेती करते हैं। उनके दो बेटे हैं। समाजसेवा करने के मकसद से सावित्री एक एनजीओ से जुड़ीं। धार, बड़वानी और खंडवा जिले के कई गांवों में आदिवासी, गरीब और अशिक्षित महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया। सावित्री को राजनीति में लाने का श्रेय उस समय के धरमपुरी विधायक जगदीश मुवेल और तत्कालीन पार्टी जिलाध्यक्ष विनोद शर्मा को जाता है। उन्होंने काबिलियत को समझा और आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया।
8 मई को पीएम मोदी ने दिया था प्रशंसा पत्र
सावित्री ठाकुर को पीएम मोदी ने 8 मई को उनके संघर्षों में जीत का इतिहास दर्ज कराने के कारण उन्हें प्रशंसा पत्र दिया था। इसमें पीएम मोदी ने उनके कार्यों की सराहना की थी। इस पत्र में पीएम मोदी ने बड़ा इशारा करते हुए लिखा था कि नई सरकार में हम सब मिलकर देशवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की हर संभव प्रयास करेंगे।
कद्दावर नेता को हराया
सावित्री ठाकुर ने 2003 में राजनीति में कदम रखा। जिपं सदस्य के लिए धरमपुरी वार्ड 27 से चुनाव लड़ा। तब उन्होंने अनारक्षित सीट पर जीत दर्ज की। कांग्रेस के कद्दावर नेता गोवर्धन मुकाती को शिकस्त दी। अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के दो गुटों की लड़ाई चली और बाजी सावित्री के हाथ लग गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता उमंग सिंघार को हराया। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में सावित्री ने 2 लाख 18 हजार 665 वोटों से जीत दर्ज की। राजनीतिक सफर
- जन्म: 1 जून 1978
- शिक्षा: हायर सेकंडरी
- 2003: जिला पंचायत सदस्य
- 2004: जिला पंचायत अध्यक्ष
- 2010: भाजपा जिला उपाध्यक्ष
- 2013: कृषि उपज मंडी धामनोद में डायरेक्टर
- 2014: पहली बार सांसद निर्वाचित
- 2017: भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्चा उपाध्यक्ष
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