बताया जाता है कि, यहां हजारों वर्ष पहले पांडवों ने गंगा-महादेव की गुफा में कुछ दिन रुककर विश्राम भी किया था, जब से इस स्थान को पांडव कालीन गुफा भी कहा जाता है। धार मुख्यालय से 13 किमी दूर इस स्थान को गंगा महादेव पर्यटन स्थल के रूप में पहचाना जाता है। यहां पहाड़ों पर उत्तरमुखी शिवलिंग भी है। ये पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है।
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पथरीले पहाड़ की बदल गई सूरत
गंगा महादेव तीर्थ पूर्व वर्षो में बंजर पहाड़ था। स्थानीय सुल्तानपुर ग्राम पंचायत ने मनरेगा योजना से एक वर्ष में पथरीले पहाड़ की सूरत बदल दी है। पथरीले पहाड़ को पहले उपजाऊ बनाया गया, फिर इसमें 5 हजार से अधिक पौधरोपण किया गया। यह पौधे अब वृक्ष के रूप में बदल रहे हैं और पहाड़ों पर केवल हरियाली है।
पहाड़ों के बीच बसा उत्तरमुखी प्राचीन शिवलिंग
गंगा महादेव पर्यटक स्थल के साथ धार्मिक स्थल के नाम से विख्यात इस स्थान पर उत्तरमुखी प्राचीन शिवलिंग पहाड़ों के बीच स्थित है। इस शिवलिंग की स्थापना द्वापर काल में हुई थी। यहां पूरे सावन के माह में श्रदालुओं समेत कावड़ यात्री जल अभिषेक करते हैं और शिव रात्रि के दिन यहां भव्य मेला भी लगाया जाता है, जिसमें ग्रामीण जन एवं दर्शनार्थी दूर-दूर से शिव दर्शन एवं मेले का लुत्फ उठाने आते हैं। तिरला विकासखंड के सुल्तानपुर गांव में यह मंदिर है, जो काफी प्रसिद्ध है। बहुत आकर्षक प्राकृतिक स्थल होने के चलते लोग यहां पिकनिक मनाने भी आते हैं। गंगा महादेव धार से लगभग 15 किमी दूर स्थित है।
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बारिश के दिनों में जाना सबसे बेहतर
मध्य प्रदेश के इंदौर से पढ़ाई कर रही छात्रा तोषिबा सिंगौर ने यहां जाने का एक्सपीरियंस साझा करते हुए बताया कि, ‘कुछ दिन पहले ही मैं अपने दोस्तों के साथ गंगा महादेव झरने को देखने गई थी। झरने के पानी हम पैर डालकर बैठे और यहां खूब एंजॉय किया। बारिश के दिनों में जाने का यहां अलग ही मजा है, क्योंकि इन दिनों झरना काफी सुंदर और तेज धार में होता है। साथ ही, हमें यहां पहुंचकर पुरानी संस्कृति एवं हस्तलिपी को जानने का भी मौका मिलता है।
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