गौरतलब है कि मांडू उत्सव हर बार दिसंबर अंत में शुरू होता है और नए साल के आगाज के साथ उत्सव का समापन होता है। मांडू में इस अवधि के दौरान मौसम की अनुकूलता पर्यटकों को खासी लुभाती है और आकर्षित करती है। लेकिन अब सर्दियों का सीजन खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में मांडू उत्सव के आयोजन में सबसे बड़ी चुनौती पर्यटकों को जोडऩे की भी होगी।
1998 से होता आ रहा उत्सव
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के प्रयासों से इस वर्ष भी मांडू उत्सव (mandu festival) का रंगारंग आयोजन होने की उम्मीद फिर से बंधी है। सूत्रों के अनुसार आने वाले एक-दो दिनों के अंदर मांडू उत्सव की तारीख सामने आ जाएगी। दरअसल यह मांडू उत्सव वर्ष 1998 से आयोजित होता आ रहा है। हालांकि बीच में कुछेक साल ऐसे भी आए है, जिनमें यह आयोजन नहीं हो पाया। कभी चुनाव के कारण तो कभी बजट के कारण यह उत्सव खटाई में पड़ गया। पर्यटन विभाग के सालाना उत्सवों के कैलेंडर में मांडू उत्सव शामिल नहीं है। इस कारण हर बार मांडू उत्सव की अनदेखी होती आई है।
दुनिया में प्रसिद्ध मांडू नाम
अपनी विशिष्ट प्रस्तुतियों के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध मांडू उत्सव इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने जा रहा है। आयोजन की तैयारी को लेकर जिपं सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव मांडू पहुंचे थे। जानकारी के अनुसार पर्यटन बोर्ड के एएमडी विवेक क्षोत्रीय ने एक्सपर्ट और प्लानर मांडू भेजे थे। ताकि जिले के उच्च अधिकारियों से तालमेल बैठ कर उत्सव के स्वरूप को तय किया जाए। पहले दौर की बातचीत पिछले शनिवार को हो चुकी है। झाबुआ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर धार जिले के अधिकारी भी व्यस्त थे। इसके बाद मांडू उत्सव का स्वरूप तय किया गया। हालांकि अब पर्यटन बोर्ड से बजट की स्वीकृति मिलने के बाद उत्सव होने की संभावना रहेगी।
ठेका निरस्त होने से अटका उत्सव
ए फैक्टर एंटरटेनमेंट को 3 वर्ष का ठेका मिला था। इससे 2 वर्ष ही पूरे हुए थे। लेकिन पर्यटन बोर्ड ने उसके पहले ही कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया। इस कारण मांडू उत्सव में देरी हो रही है। इधर मध्य प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों पर बड़े बजट के व्यापक उत्सव हो रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश की इस ऐतिहासिक नगरी को लेकर पर्यटन बोर्ड का रुख कला प्रेमियों के गले नहीं उतर रहा है।