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होलिका दहन के अगले दिन यहां लगता है ‘गल बाबा’ का मेला, मांगी गई हर मन्नत यहां होती है पूरी

हर साल होली के अगले दिन यहां लोगों का हुजूम उमड़ता है, जानिए क्या है मान्यता।

धारMar 08, 2023 / 07:29 pm

Faiz

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होलिका दहन के अगले दिन यहां लगता है ‘गल बाबा’ का मेला, मांगी गई हर मन्नत यहां होती है पूरी

देशभर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। होली को लेकर वैसे तो देशभर में अलग अलग इलाकों के अनुसार, कई तरह की मान्यताएं हैं, जो लोगों को हैरान कर देने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसी ही एक खास मान्यता को लेकर मध्य प्रदेश के धार जिले के आदिवासी अंचल में होलिका दहन के दूसरे दिन गल बाबा का मेला लगता है। इस दिन जिलेभर से लोग रंग खेलने के बजाय मेले में शामिल होने आते हैं। यहां पहुंचने के पीछे भी लोगों की खास मान्यता है। गल मेला आस्था मन्नत और परंपरा के नाम पर लगता है। गल का मेला ग्रामीण अंचलों में हर 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर आयोजित किया जाता है। इस मेले का आयोजन ग्राम पंचायत के द्वारा कराया जाता है। मेले में ग्रामीण आदिवासी दूर-दूर से अपनी मन्नत लेकर आते हैं।

खास बात ये है कि, यहां मन्नत मांगने आने वाले को अपनी मन्नत के हिसाब से 1 से 5 साल तक गल घूमाना होता है। मन्नत धारी अपने पूरे परिवार के साथ गल बाबा के मेले में पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं। बताया जाता है कि, ये सैकड़ों सालों से मनाई जाती आ रही है। ऐसा ही कुछ नजारा तिरला के गल मेले में नजर आया। यहां मन्नतधारी खास परिधान पहनकर मेले में पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि, यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है। परंपरा के अनुसार मन्नत पूरी होने पर मन्नतधारी को अपने वचन अनुसार परंपरा को निभाते हुए गल की परिक्रमा करनी होती है।

 

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गल मेले की परंपरा

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जानकारों की मानें तो आदिवासी अंचल में ये परंपरा सदियों से मनाई जाती आ रही है। मान्यता के अनुसार, बीमार शख्स यहां मन्नत मांगने पर स्वस्थ हो जाता है, जिन्हें बच्चा न हो मन्नत मांगने पर उनके घर ओलाद की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अन्य घरेलू समस्याओं का भी यहां निदान होता है। हालांकि, मांगी गई मन्नत पूरी होने पर मन्नतधारी को गल घूमना होता है।

 

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क्या है गल

गल एक तरह का टावर होता है, जिसकी ऊंचाई करीब 50 फीट होती है। इस टॉवर पर एक व्यक्ति बैठा होता है। वहीं, एक आड़ा बांस बंधा होता है, जिसपर मन्नत धारी व्यक्ति को कपड़े से बांध दिया जाता है। फिर नीचे से एक व्यक्ति रस्सी से उस बांस को गोल गोल घुमाता है। इस तरह मन्नत मांगने वाला शख्स ऊंचाई पर घूमने लगता है। मन्नत धारी 1 से लेकर 5 साल या पूरे जीवन तक गल पर घूमता है। इसमें लोगों की मान्यता है कि, गल बाबा की कृपा से वो जो मन्नत लेते हैं, वो पूरी हो जाती है।

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