एबी रोड के इस नए सेक्शन में गणपति घाट Ganpati Ghat के वैकल्पिक रास्ते के रूप में चौड़ी सपाट सड़क तैयार की गई है जिससे हादसों से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। राऊ खलघाट सेक्शन के गणपति घाट में सड़क हादसे रोकने के लिए बने इस वैकल्पिक रास्ते से इंदौर से महाराष्ट्र जाने वाले वाहनों को गुजारा जाएगा।
करीब 9 किमी के लंबे नए घाट पर वाहन 80-90 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकेंगे। अनियंत्रित कर देने वाला ढलान पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। ऐसे में वाहन चालक घाट सेक्शन में आराम से गुजर सकेंगे। घाट पार करने में करीब 7-8 मिनट लगेंगे।
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बता दें कि गणपति घाट पर ज्यादा ढलान होने से लगातार हादसे होते रहे हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 1 साल से भी कम समय में करीब 9 किमी की नई वैकल्पिक रोड बनाई गई है। यह 3 लेन चौड़ी सड़क 106 करोड़ रुपए में बनाई गई। यह रोड दो राज्यों- एमपी और महाराष्ट्र के बीच आनेजाने की सहूलियत बढ़ा देगी।
गणपति घाट की ढलान वाली सड़क से 3 किमी दूर 8.8 किमी की नई 3 लेन सड़क बनाई गई है। इस सड़क पर एक भी ब्लैक स्पॉट नहीं है। इसके चालू हो जाने के बाद गणति घाट पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। एनएचएआइ ने 4 किमी की खतरनाक ढलान वाली सड़क को बंद कर नई सड़क बनाई है।
एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सोमेश बंसल ने बताया कि नए घाट का उपयोग इंदौर से धामनोद की ओर जाने वाले वाहन करेंगे। पिछले कुछ माह से तेजी से नए घाट पर काम चल रहा था, जो अब पूरा हो गया है। नए सड़क मार्ग का निर्माण 106 करोड़ की लागत से किया है, शनिवार से वाहन नियमित गुजर रहे हैं।
ढलान और अंधे मोड़ होने से गणपति घाट पर दुर्घटनाएं होती थीं। इनमें सैंकड़ों लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। पिछले 16 सालों में यहां 4 हजार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन दुर्घटनाओं में 500 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
दरअसल इस घाट पर जबर्दस्त ढलान था जिसके कारण दुर्घटनाएं होती थीं। नई रोड बनाकर यह तकनीकी खामी खत्म कर दी गई है। एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल के मुताबिक दुर्घटनाएं रोकने के लिए कई उपाए आजमाए लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। आखिरकार स्थायी समाधान के लिए नई सड़क बनाई गई।
एनएचएआइ ने दिसंबर में समाप्त होने वाला कार्य समय से समाप्त कर नए गणपति घाट सेक्शन से शनिवार को आवाजाही शुरू करवा दी है। नए सेक्शन में उतरते समय वाहन वाहन न्यूट्रल करने पर अब अपनी जगह खड़ा हो जाएगा, पहले वाहन चालक ढलान में ईंधन बचाने वाहन को न्यूट्रल कर देते थे। ऐसे में कई बार वाहन अनियंत्रित होकर अन्य लाइन में चले जाते थे और इससे लगातार हादसे हो रहे थे।