ऐसे में जानकारी मिलने के बाद से सुबह से ही ग्रामीण एकत्रित हो गए और राष्ट्रीय पक्षी मोर के शवों को एकत्रित कर वन विभाग समेत प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित किया। ग्रामीणों के अनुसार, वन विभाग को इस संबंध में सूचना दी गई, बावजूद इसके विभागीय टीम मौके पर घंटो बाद पहुंची। ग्रामीणों ने राष्ट्रीय पक्षी की इतनी बड़ी संख्या में मौत को लेकर वन विभाग पर ही लापरवाही के आरोप लगाए। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में मोरों की मौत से विबाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
क्षेत्रीय वन विभाग फिलहाल मोरो के शवों का पोस्टमार्टम करवा रहा है, जिसके बाद ही मौत के कारणों की स्पष्ट जानकारी सामने आ सकेगी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जब क्षेत्रीय प्रशासन के नायब तहसीलदार जगत सिंह रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, शाम तक उन्हें वन विभाग की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई। मीडिया से जानकारी लगी है। अब वो मामले में जानकारी जुटाकर छानबीन कर कार्यवाही की बात करते नजर आ रहे हैं।
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उठे ये सवाल
इधर लोग वन विभाग पर अन्य जंगली जीवो के प्रति भी लापरवाही का आरोप लगाते दिखे। पिलहाल, अब देखने वाली बात ये है कि, राष्ट्रीय पक्षी के इतनी बड़ी तादाद में मृत पाए जाने को लेकर प्रशासन कितना जागरूक होता है और इस घटनाक्रम पर क्या कार्यवाही की जाती है।