Bhojshala ASI Survey : भोजशाला सर्वे के 30वें दिन मचा घमासान, हिंदू-मुस्लिम पक्ष आमने सामने
शहर काजी वकार सादिक ने सर्वे कार्य में हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना होना बताया था। इसपर हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने कहा- मुस्लिम पक्ष सर्वे को रोकने का षडयंत्र रच रहा है।
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला वर्सेज कमाल मौला मस्जिद मामले में जारी सर्वे के 30वें दिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। दरअसल, शुक्रवार को जुमा की नमाज के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से सर्वे टीम पर हाईकोर्ट के आदेश की अवेहलना का आरोप लगाया था। अब इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से सर्वे टीम का बचाव करने के साथ साथ मुस्लिम पक्ष पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि मुस्लिम पक्ष द्वारा सर्वे को रोकने का षडयंत्र रचते हुए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि इस मामले में कमाल मौला वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद के साथ साथ शहर काजी वकार सादिक ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि ASI द्वारा किए जा रहे सर्वे में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। सर्वे के नाम पर टीम द्वारा उत्खनन कर मस्जिद की इमारत के मूल स्वरूप को ही परिवर्तित कर दिया गया है। मुस्लिम पक्ष ने एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
अब्दुल समद के आरोपों पर याचिकाकर्ता आशीष गोयल एवं संयोजक भोजशाला मुक्ति यज्ञ के गोपाल शर्मा ने कहा कि, भोजशाला में एएसआई की टीम के द्वारा हाईकोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। सर्वे में कोर्ट के सारे मापदंडों का ध्यान रखते हुए पड़ताल की जा रही है। मुस्लिम पक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोप अनर्गल हैं। प्रतिवादी द्वारा सर्वे की गोपनीयता को भंग किया जा रहा है।
उत्खनन के आरोप का पलटवार करते हुए गोपाल शर्मा ने कहा कि भोजशाला परिसर के अंदर और बाहर जो उत्खनन किया जा रहा है वो कोर्ट के निर्देशों के आदार पर ही किया जा रहा है। उन्होंने कहा इमारत की न दीवार तोड़ी जा रही और न ही कोई स्तंभ हटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा मुस्लिम पक्ष ने जो आरोप लगाए हैं वो पूरी तरह से निराधार और हताशा से भरे हैं। उन्हें इसे सर्वे कार्य रोकने का षड्यंत्र बताया है।
नमाज के बयान पर पलटवार
गोपाल शर्मा ने आगे ये भी कहा कि भोजशाला में कभी नमाज अदा नहीं की गई। सन 1935 में जब राजा बीमारी से जूझ रहे थे, तब राजा के लिए दुआ करने के लिए एक दिन के लिए उन्हें स्थान दिया गया था। इसका कोई लिखित आदेश नहीं है, जिसे उन्होंने परंपरा बना दिया और राजनीतिक तुष्टीकरण के चलते सन 1980-82 के बीच नमाज शुरु हुई। उन्होंने कहा हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें भोजशाला का ‘टाइटल’ तय हो सके, क्योंकि एक ही स्थान पर पूजा और नमाज दोनों ही हो रही थी, जिससे पता नहीं चलता था कि ये मस्जिद है या मंदिर। उन्होंने कहा कि ये सर्वे सत्य जानने के लिए हो रहा है।
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