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Makar Sankranti 2025: 19 साल बाद भौम पुष्य नक्षत्र में मनेगी संक्रांति, तिल के लड्डू का क्या है महत्व? जानें..

Makar Sankranti 2025: धमतरी जिले में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पंडितों की माने तो 19 साल बाद मकर संक्रांति का पर्व भौम पुष्य नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाया जाएगा।

धमतरीJan 11, 2025 / 02:10 pm

Shradha Jaiswal

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Makar Sankranti 2025: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पंडितों की माने तो 19 साल बाद मकर संक्रांति का पर्व भौम पुष्य नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाया जाएगा। शहर की अधिष्ठात्री देवी विंध्यवासिनी माता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होगी।
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तिल के लड्डू की बढ़ी डिमांड

बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में सुबह अभिषेक के साथ ही भजन संध्या का आयोजन होगा। देर शाम को रूद्रेश्वर महादेव मंदिर में विशेष अनुष्ठान के साथ श्रद्धालुओं को तिल-गुड के लड्डू का वितरण किया जाएगा। हॉटलों में मिठाई के अलावा मकर संक्रांति के पहले ही तिल से बने लड्डू की डिमांड बढ़ गई है।
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पिछले साल की तुलना में इस साल तिल की कीमत में वृद्धि हुई है। इसके चलते लड्डू की कीमत भी बढ़ी है। पिछले वर्ष तिल की लड्डू की कीमत प्रति किलो 180-200 रूपए थी। इस वर्ष 220 से 250 रूपए में लड्डू की बिक्री हो रही।

मकर संक्रांति का महत्त्व

हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का अपना अलग महत्व है। इस साल पर्व को लेकर तिथियों में कोई तोड़भांज नहीं है। यही वजह है कि 14 जनवरी को संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। विप्र विद्ववत परिषद के मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी, पंडित श्रीकांत तिवारी ने बताया कि सूर्य का धनु राशि सेमकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। देव पंचांग के अनुसार इस साल संक्रांति 8.56 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा।
सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। पर्व में अलसुबह पुण्य स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य देना श्रेष्यकर होगा। बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर समिति के नीलेश लुनिया ने बताया कि 14 जनवरी को बूढ़ेश्वर महादेव का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। साथ ही देर शाम को भजन संध्या का भी आयोजन होगा। इसके लिए मंदिर समिति के सदस्य तैयारी में जुट गए हैं।

तिल के लड्डू की बढ़ी डिमांड

उन्होेंने बताया कि उनकी दुकान में 220 रूपए पैकेट के हिसाब से तिल के लड्डू मिल रहा है। इसी के साथ ही तिल की राबड़ी, तिल-गुड़ का पैकेट समेत तिल से बने खाद्य पदार्थों की खूब बिक्री हो रही

कंबल और तिल के दान का विशेष महत्व

त्रिलोक देवांगन, नितेश सोनकर, मुकेश नेताम ने बताया कि मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ईष्टदेव का दर्शन कर तिल और कंबल का दान करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि इस साल कंबल और तिल के लड्डू का वितरण किया जाएगा। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है

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