जिले में प्राथमिक और मीडिल के 88 भवन जीर्णशीर्ण घोषित होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। इसके लिए पीडब्ल्यूडी को लिखा गया है। वहीं 323 भवनों को मरम्मत की आस है। स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए पेयजल समस्या की भी है। गर्मी में कई स्कूलों में पानी का संकट खड़ा हो जाता है। विद्यार्थी घरों से लोग पानी लाने का मजबूर होते हैं। जिले में प्राथमिक और मिडिल के 1860 स्कूल हैं।
सालों पुराने भवन, बारिश में करना पडती है छुट्टी देवास से कुछ दूर ही लोहारी स्कूल है। स्कूल के कक्ष में छत से बारिश के दौरान पानी टपकता है। इसके चलते विद्यार्थियों को दूसरे कक्ष में बैठाना पड़ता है। ऐसे ही हाल जिले के कई स्कूलों हैं जहां बारिश विद्यार्थियों के लिए मुसीबत लेकर आती है। वर्षा के दिनों में स्कूलों की छुट्टी करनी पड़ती है। उदयनगर, भीकुपूरा क्षेत्र में कई प्राथमिक स्कूल भवन 30 से 35 साल पुराने हैं। भवन गर्डर फर्शी से बनाए गए हैं। वर्षा में इन भवनों के कक्षों में पानी भर जाता है। पीपरी क्षेत्र में भी प्राथमिक स्कूल का भवन सालों पुराना है। जर्जर और हादसे के डर के चलते स्कूल में बच्चों को नहीं बैठाया जाता है। अतिरिक्त कक्ष में पढ़ाई होती है।
गर्मी में पेयजल की दिक्कत शहर से कुछ ही दूर प्राथमिक स्कूल में गर्मी के दिनों में छात्र-छात्राओं के सामने पानी की समस्या खड़ी हो जाती है। बोरिंग में पर्याप्त पानी नहीं आती है। इससे स्कूलों के विद्यार्थियों की पूर्ति नहीं हो पाती है। मजबूरी में उन्हें घरों से पानी की बोतल लेकर स्कूल आना पड़ता है या फिर शिक्षक पान की कैन के माध्यम से पानी की व्यवस्था करवाते हैं।
पानीगांव क्षेत्र के स्कूल भी जर्जर पानीगांव संकुल में भी स्कूलों की हालत ठीक नहीं है। संकुल अंतर्गत 7 स्कूल जर्जर हो गए हैं। प्राथमिक विद्यालय मनासा में कुछ समय पहले भवन की छत का प्लास्टर गिर गया था। इसके बाद से छात्र-छात्राओं को आंगनबाड़ी में बैठाकर पढ़ाया जाता है। वहीं खातेगांव का उत्कृष्ट विद्यालय का भवन भी 65 वर्ष पुराना हो चुका है। भवन में जगह-जगह दरारें दीवारों में पढ़ चुकी है। छत क्षतिग्रस्त हो चुकी है। प्लास्टर आए दिन गिरता है, कुछ दिनों पहले भी प्लास्टर गिर चुका है। वहीं शासकीय माध्यमिक उमावि की बिल्डिंग 23 साल में ही क्षतिग्रस्त हो गई।
कम पैसों में नहीं होता है जीर्णोद्धार वार्षिक प्लान के मुताबिक स्कूलों में मरम्मत की राशि आती है जो बहुत कम होती है। हर विकासखंड में 15 से 20 स्कूलों यह राशि दी जाती है। इसमें 25 हजार रुपए से डेढ़ लाख की राशि दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक स्कूलों की दशा सुधारने की ये राशि नाकाफी होती है। इसलिए स्कूलों की हालात में सुधार नहीं होता है।
फैक्ट फाइल -जिले में 88 भवन जीर्णशीर्ण घोषित करने की स्थिति में -इसमें से 55 नए भवन की मांग की गई -229 अतिरिक्त कक्ष की मांग भेजी गई -323 भवनों की रिपेयरिंग आस है, विभाग ने भेजी मांग
-जिले में 1860 प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं -पिछले साल कुछ बिल्डिंग की स्वीकृति हुई है। नए भवनों की मांग के साथ ही रिपेयरिंग की मांग भेजी गई है। अतिरिक्त कक्षों की भी व्यवस्था की गई है।
-प्रदीप जैन, डीपीसी देवास