देवास. वस्तु पदार्थ जितने पुराने होते जाते, उतना उनका मूल्य कम होता जाता है, लेकिन प्रभु प्रतिमा जितनी प्राचीन होती है उतनी अधिक मूल्यवान होती जाती है। हमारे सद्भाग्य से हमें भी ऐसे ही प्राचीन परमात्मा यहां प्राप्त हो चुके हैं।
इस परमात्मा की सेवा अर्चना कर हम मुक्ति पद को प्राप्त कर सकते हैं। जिस प्रकार मनुष्य शरीर में सबसे ऊपर स्थित मुंह का विशिष्ट महत्व होता है उसी प्रकार जिन मंदिर में शिखर एवं ध्वजा का विशिष्ट महत्व एवं स्थान होता है। यह बात धर्मसभा में ऋषभरत्न विजय महाराज ने कही।
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन मंदिर तुकोगंज रोड पर वार्षिक ध्वजारोहण एवं प्रभु प्रतिष्ठा की 52वीं वर्ष गांठ मनाई गई। इस अवसर पर पद्मभूषण विजय, ऋषभरत्नविजय व साध्वी मुक्तिप्रिया, गुणरत्ना श्रीजी, नम्रव्रता श्रीजी आदि ठाणा विशेष रूप से उपस्थित रहे। ध्वजारोहण के पूर्व सामूहिक स्नात्र महोत्सव एवं सत्तरभेदी पूजन अनुष्ठान हुआ।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया समाजजन की उपस्थिति में सुबह 9.45 बजे चिमनभाई कुमुद भाई नितिन कडिय़ा परिवार द्वारा मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण किया गया। गुरु मंदिर शिखर पर पुखराजबाई रमणलाल राजमल चौधरी परिवार द्वारा एवं देव मंदिर शिखर पर चांदमल सूरजमल जैन परिवार द्वारा ध्वजारोहण किया गया। तत्पश्चात साधार्मिक भक्ति एवं संघ पूजन का विशेष आयोजन हुआ। ध्वजारोहण समारोह में श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर विलास चौधरी, अशोक जैन, शैलेंद्र चौधरी, प्रेमचंद शेखावत, भरत चौधरी, मदनलाल कटारिया, अशोक जैन, अतुल जैन, दीपक जैन, गौरव जैन, राजेंद्र जैन, राकेश तरवेचा आदि मौजूद रहे।
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