ऑस्ट्रेलिया में था पिता का व्यवसाय, कोविड के दौरान दिलों में बनाए जगह
प्रदीप तिवारी 1985 में अपनी बुआ मीरा शुक्ला और धर्मदेव शुक्ल के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया गए। धर्मदेव शुक्ल वहां वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत थे। प्रदीप आस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद 1986 में नौकरी शुरू की। उनके पिता मारकंडेय तिवारी पहले ही वहां व्यवसाय स्थापित कर चुके थे। इसी प्रेरणा से प्रदीप ने भी “भारत ट्रेडर्स” नामक व्यवसाय शुरू किया, जो समय के साथ सफल होता गया।कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदीप तिवारी ने सामुदायिक सेवा में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की और अपनी विनम्रता और सेवाभाव से लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके इस सेवाभाव ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया और उन्हें समाज में सम्मानित स्थान दिलाया।
वर्ष 2000 में लड़े पार्षद का चुनाव, मिली थी हार
प्रदीप तिवारी ने वर्ष 2000 में पहली बार आस्ट्रेलिया में पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में निरंतर सक्रिय रहे। आखिरकार, 2024 में उन्होंने मेयर पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
मेयर बनने की खबर सुनते ही पैतृक गांव में हर्ष
उनकी सफलता की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव गौरा बरहज में हर्षोल्लास का माहौल है। उनकी बड़ी माता ने कहा, “प्रदीप बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने हमेशा अपने काम और मेहनत से कुछ बड़ा हासिल करने की इच्छा जताई।” प्रदीप की शादी राखी से आस्ट्रेलिया में हुई थी। ससुराल के लोग इलाहाबाद के रहने वाले हैं। लेकिन परिवार सहित आस्ट्रेलिया में रहते हैं।प्रदीप वर्ष 2014 में पारंपरिक पूजा के सिलसिले में परिवार के साथ गांव गौरा बरहज आए थे। वर्तमान में उनका पूरा परिवार आस्ट्रेलिया में रह रहा है, जबकि उनकी बड़ी माता कंचन तिवारी पैतृक गांव में रहती हैं।