रसना मीना ने योगा एवं नेचूरोपैथी में भी मास्टर डिप्लोमा करते हुए डॉक्टर की भी उपाधि प्राप्त की है। मंडावरी कस्बे के कोठी वाली ढाणी की मूल निवासी रसना मीना के पिता श्रीफूल मीना रेलवे में सीटीआई के पद पर कार्यरत हैं। सीनियर पास करने के बाद परिजनों के कहने पर रसना ने बीएससी में एडमिशन तो ले लिया, लेकिन रसना का मन विज्ञान की दुनिया के बजाए कानून की पढ़ाई की ओर ही भटकने की वजह से वह बीएसएसी में तीन बार फेल हो गई, जिसके बाद रसना ने अपने परिवार के समक्ष जिद करते हुए एलएलबी में एडमिशन लिया। उनके परिवार से रसना पहली सदस्य है, जिसने एलएलबी किया है।
सेल्फ स्टेडी के बूते मिली सफलता
रसना मीना ने बताया कि उसने जयपुर में अकेले रहकर सेल्फ स्टडी की है। एलएलबी सेकेंड ईयर के दौरान कोराना काल होने के बाद भी वह अपने घर नहीं गई औैर फाइनल ईयर के साथ ही पहले प्रयास में साक्षात्कार तक पहुुंची थी। विभागीय व अध्ययन कार्य के अलावा कभी मोबाइल फोन का बेवजह उपयोग नही किया। फेसबुक व इस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म से तो पूरी तरह दूर ही रही। पहला प्रयास रहा असफल
पहले प्रयास में रसना मीना साक्षात्कार तक पहुंची थी, लेकिन साक्षात्कार में सफल नही होने के बाद रसना थोड़ी निराश जरूर हुई, लेकिन कड़ी मेहनत कर दूसरे ही प्रयास में राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया। जूनियर लीगल आफिसर की वेकेंसी आने पर उसका चयन हो गया और उसे दौसा के सीएमएचओ कार्यालय में जेएलओ के पद पर नियुक्ति मिली। उन्होंने बताया कि दूसरे प्रयास में मिली इस सफलता में सीएमएचओ कार्यालय के स्टाफ का विशेष योगदान है।