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दौसा

Rajasthan Monsoon: वर्षों बाद एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध छलक पड़ा, लोगों में दौड़ी खुशी की लहर

Rajasthan Monsoon 2024: मोरेल नदी में फिलहाल 4 फीट पानी बह रहा है, जिसके चलते आगामी दिनों में आगामी दिनों में बांध पर ढाई फीट तक की भी चादर चलने का अनुमान है

दौसाAug 15, 2024 / 02:43 pm

Santosh Trivedi

moreal dam News
Rajasthan Monsoon 2024: राजस्थान के दौसा जिले का सबसे बड़ा एवं एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध पांच साल बाद एक बार फिर छलक पड़ा। मोरेल बांध पर चादर चलने बाद लालसोट उपखण्ड के साथ सवाई माधोपुर जिले की बौली, बामनवास, मलारना डूूंगर समेत कई तहसीलों के लोगों की खुशी का ठिकाना नही रहा। बांध पर चादर चलने की सूचना बड़ी संख्या में लोग वहां के नजारे देखने के लिए जा पहुंचे।
प्रशासन व पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को देखते हुए लोगों को बांध की वेस्ट वेयर से दूर ही रखा। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि मोरेल बांध का जल स्तर बुधवार सुबह तक बीते 12 घंटों में करीब एक फीट बढकर 30 फीट तक जा पहुंचा था। इसके बाद सुबह करीब 10 मोरेल बांध का जलस्तर पर अपने पूर्ण भराव पर यानि 30 फीट 5 इंच तक पहुंचा और ठीक 10.30 बांध पर चादर चलने लगी।
शुरुआत में मोरेल बांध की वेस्ट वेयर पर करीब 2 इंच की चादर चल रही थी, दोपहर में ही चादर 6 इंच तक जा पहुंची है। उन्होंने बताया कि मोरेल नदी में फिलहाल 4 फीट पानी बह रहा है, जिसके चलते आगामी दिनों में आगामी दिनों में बांध पर ढाई फीट तक की भी चादर चलने का अनुमान है और जयपुर क्षेत्र में हो रही जोरदार बारिश के चलते 2019 की तरह इस वर्ष तक करीब एक से दो माह तक चादर चल सकती है। मोरेल बांध पूरा भरने पर जल संसाधान विभाग के कनिष्ठ अभियंता अंकित कुमार मीना ने बांध की पाल पर मौजूद पीर की मजार पर चादर चढाते हुए अमन चैन की दुआ की। गौरतलब है कि मोरेल बांध पर इससे पहले सन 2019 में करीब 21 साल के लंबे इंतजार के बाद चादर चली थी।

Morel Dam: मौज मस्ती के मूड से पहुंचे लोग हुए मायूस

बांध पर चादर चलने की जानकारी मिलने के बाद बुधवार सुबह से ही लोगों की भीड़ का भी पहुंचना शुरू हो गया था, लेकिन इस बार बारिश के दौरान प्रदेश में हुए कई हादसों के चलते उपखण्ड प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा और भीड़ को वेस्ट वेयर से दूर करने के लिए बेरिकेडिंग कराते हुए पुलिस जाप्ता भी तैनात कर दिया गया। शुरुआती समय में भीड़ हटाने के उपखण्ड अधिकारी नरेन्द्र कुमार मीना को भी हाथ में लाठी थामने पड़ी।

प्रशासन पूरी तरह सक्रिय, लोग पानी से रहें दूर

मोरेल बांध पर चादर चलने की संभावना को देखते हुए सुबह से ही प्रशासन के साथ जल संसाधन विभाग भी पूरी सक्रिय रहा। लालसोट उपखण्ड अधिकारी नरेन्द्र कुमार मीना के अलावा मलारण डूंगर के उपखण्ड अधिकारी बद्रीनारायण विश्नोई भी मोरेल बांध पर जा पहुंचे। उपखण्ड अधिकारी ने कहा कि बांध पूरा भरने पर किसी भी तरह की जनहानि को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह सजग है। सभी जरूरी सुरक्षा प्रबंध किए गए है। एसडीएम ने वेस्ट वेयर पर हो रहे पानी के तेज बहाव से लोगों को दूर रहने की अपील की है।

दर्जनों गांवों में होगी भूजल स्तर की बढ़ोतरी

मोरेल बांध दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के लाइफ लाइन माना जाता है। इस बांध की दो नहरों से हर साल रबी की फसलों के लिए बांध में उपलब्ध पानी के आधार पर पानी छोड़ा जाता है, जिससे करीब 19 हजार हैक्टेयर भूमि की सिचाई होती है। साथ ही बांध के इर्द-गिर्द बसे दर्जनों गांवों में भी भूजल स्तर की बढोतरी होगी। दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्व नहर कुल 6705 हैक्टेयर भूमि को सिचाई करती है।
31.4 किमी लंबी इस नहर से दौसा जिले की 1736 हैक्टेयर भूूमि सिंचित होती है। इस नहर से कुल 28 गांवों में सिचाई होती, जिसमे दौसा जिले के 13 एवं सवाई माधोपुर जिले के 15 गांव शामिल हैं। बांध के पानी का सबसे अधिक लाभ सवाई माधोपुर जिले की बौली एवं मलारना डूंगर तहसीलों के कुल 55 गांवों को होता है। इन गांवों की कुल 12 हजार 388 हैक्टेयर भूमि पर बांध की मुख्य नहर सिचाई होती है। मुख्य नहर की कुल लंबाई 28 किमी है।

मोरेल बांध

बांध का निर्माण- सन 1948 में शुरू

बांध का निर्माण कार्य पूरा- सन 1952

कुल भराव क्षमता- 30 फीट 5 इंच

बांध की नहरें- पूर्वी नहर व मुख्य नहर
बांध में पानी का फैलाव- करीब 10 किमी

नहरों की लंबाई:- पूर्वी नहर (31.4 किमी) मुख्य नहर (28 किमी)

कितने जिलों में होगी सिचाई- दौसा व सवाई माधोपुर

बांध की माइनर नहरें – 29, (पूर्वी नहर माइनर 21.53 किमी) (मुख्य नहर माइनर 76.85 किमी)
कितने क्षेत्र में सिंचाई- पूर्व नहर से 6705 हैक्टेयर भूमि, मुख्य नहर से 12 हजार 388 हैक्टेयर भूमि

कौन से गांवों में सिचाई:- मुख्य नहर से बौंली व मलारणा डूंगर के 55 गांव और पूर्व नहर से लालसोट व बामनवास के 28 गांवों में सिंचाई होती है।

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