scriptभूलभुलैया या भूतिया बावड़ी? चांदनी रात में हो जाती है सफेद, जानें दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी का रहस्य | interesting facts about Chand Baori Abhaneri of Rajasthan On World Tourism Day | Patrika News
दौसा

भूलभुलैया या भूतिया बावड़ी? चांदनी रात में हो जाती है सफेद, जानें दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी का रहस्य

Chand Bawri Special Story: विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आज हम आपको ऐसी बावड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी है। आइए जानते हैं भूलभुलैया के नाम से पहचानी जाने वाली बावड़ी से जुड़ी कई रहस्मयी बातें।

दौसाSep 27, 2024 / 12:53 pm

Anil Prajapat

Chand Baori

World Tourism Day: दौसा। विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आज हम आपको ऐसी बावड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी है। कहा जाता है कि इस बावड़ी को भूतों ने एक रात में बना दिया था। इतना ही नहीं, यह बावड़ी चांदनी रात में सफेद दिखाई देती है। विश्व प्रसिद्ध चांद बावड़ी राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है।
बांदीकुई शहर से पांच किलोमीटर दूर आभानेरी गांव में स्थित विश्व प्रसिद्ध चांद बावड़ी न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के पर्यटन के पटल पर अपनी चमक बिखेर रही है। यह ऐतिहासिक बावड़ी अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला से यह देशी सैलानियों के साथ विदेशियों को भी आकर्षित करती जा रही हैं। गत वर्ष यहां रिकॉर्ड विदेशी पावणे पहुंचे थे। आइए जानते हैं भूलभुलैया के नाम से पहचानी जाने वाली बावड़ी से जुड़ी कई रहस्मयी बातें।

आखिर किसने करवाया बावड़ी का निर्माण?

बांदीकुई शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित आभानेरी गांव में चांद बावड़ी पर्यटन स्थल स्थित हैं। जिसका शुरुआती नाम आभा नगरी था। लेकिन कालांतर में इसका नाम परिवर्तन कर आभानेरी कर दिया गया। चांद बावड़ी का निर्माण आठवीं व नवीं शताब्दी में राजा चांद ने करवाया था। उन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांदबावड़ी पड़ा। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि यह बावड़ी एक ही रात में बनकर तैयार हो गई थी। स्थानीय लोगों का दावा है कि इस बावड़ी का निर्माण भूतों ने किया था। चांद बावड़ी के साथ ही अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी भी एक ही रात में बनी थी।
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ये है दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी

दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी चारों ओर से 35 मीटर चौड़ी हैं। 19.5 मीटर गहरी यह दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी हैं। इसमें पुरातत्व विभाग के अनुसार भूलभुलैया के रूप में करीब 35 सौ सीढ़ियां हैं। बावड़ी में सुरंगनुमा गुफा भी बताई जाती हैं। चांद बावड़ी के पास ही हर्षद माता का मंदिर हैं। जहां अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनी हुई हैं। जो कि क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। महामेरू शैली में बने इस मंदिर में सींमेट और चूने का प्रयोग नहीं किया गया हैं।
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भूलभुलैया या अंधेरे-उजाले की बावड़ी

चांद बावड़ी को भूलभुलैया भी कहा जाता है। बावड़ी की सीढ़ियों के बारे में कहा जाता है कि कोई भी इंसान कभी भी एक ही सेट की सीढ़ियों का इस्तेमाल करके बावड़ी में नीचे नहीं जा पाया और फिर उसी रास्ते से वापस ऊपर नहीं चढ़ पाया। चांद बावड़ी को अंधेरे-उजाले की बावड़ी भी कहा जाता है। क्योंकि चांदनी रात में यह बावड़ी सफेद दिखाई देती है। चांद बावड़ी में एक गुप्त सुरंग बनी हुई है। जो अलूदा की बावड़ी और भांडारेज बावड़ी की सुरंग से जुड़ी हुई हैं। यह भी कहा जाता है कि चांद बावड़ी की सुरंग में एक बार पूरी बारात समा गई थी। हालांकि, अब उस सुंरग को पत्थरों से बंद कर रखा है।
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आभानेरी 5वें पर्यटन स्थल में शुमार

सूत्रों की मानें तो वर्ष 2023 में आभानेरी में आने वाले विदेशी सैलानियों में करीब 144 फीसदी वृद्धि हुई। यहां सालाना करीब एक लाख विदेशी पर्यटक पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि विदेशी सैलानियों के मामले में चांद बावड़ी ने फतेहपुर सीकरी को भी पीछे छोड़ दिया हैं। ताजमहल, कुतुबमीनार, आगरा किला, हूमायूं के मकबरे के बाद आभानेरी सर्वाधिक विदेशी पर्यटक वाला पांचवां पर्यटन स्थल में शुमार हो गया हैं। चांद बावड़ी को लेकर विदेशी सैलानियों के साथ देशी सैलानियों में भी खासा क्रेज हैं।

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