परिजन रातभर विलाप करते नजर आए। सुबह करीब साढे़ 8 बजे गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। दो वर्षीय पुत्र शिवांश ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान परिजनों, रिश्तेदारों के साथ बड़ी संख्या में संविदाकर्मी, वकील सहित अन्य मौजूद रहे। सभी ने मृतक के परिवार को सहयोग करने का आश्वासन भी दिया।
मनीष सैनी वर्ष 2005 से हाईकोर्ट के जीए आफिस में संविदाकर्मी के पद पर कार्यरत था। उसको 5600 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता था। इससे वह आर्थिक तंगी है गुजर रहा था। जयपुर से आए मनीष के साथी संविदाकर्मियों ने बताया कि मानदेय बढ़ाने और नियमितीकरण को लेकर वर्ष 2013 में हाईकोर्ट सिंगल बैंच में याचिका दायर की थी।
एकलपीठ ने संविदाकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया। इस पर सरकार हाईकोर्ट की डबल बैंच में ले गई। जिसमें भी 2022 में संविदा कर्मियों के पक्ष में फैसला यथावत रखा, लेकिन सरकार ने इसको सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। जिसका अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ।
मनीष सैनी के 60 वर्षीय पिता महेशचंद्र सैनी अस्थमा की बीमारी से लंबे समय जूझ रहे हैं। उन्होंने जब बेटे कि मौत की खबर सुनी तो उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। मनीष सैनी सहित तीन भाई थें। जिनमें बड़ा भाई रविश सैनी प्राइवेट नौकरी करता है और छोटा भाई नीतेश पढ़ाई कर रहा हैं।
मनीष की मौत के बाद उसके बेटा-बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया। मनीष के चार वर्षीय सुदीद्वा बेटी व दो वर्षीय शिवांश बेटा है। दो वर्षीय बेटे को तो ठीक से इस बात का एहसास भी नहीं है कि अब उसके पिता इस दुनिया में नहीं हैं। मनीष सैनी की मौत के बाद अब घर चलाने की जिमेदारी उसकी पत्नी पर आ गई हैं।