जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर तक इस बांध का कार्य लगभग पूरा होने के साथ ही बड़े क्षेत्र में हुए जल भराव को देखते हुए ग्रामीण काफी खुश थे और उनका मानना था कि यहां पानी रुकने से करीब दो दर्जन गांवों का जल स्तर बढे़गा। शाम तक जब बांध में पानी और बढ़ने लगा तो ग्रामीणों ने पानी निकासी के लिए एक छोटी नाली का भी निर्माण कर दिया था, लेकिन पानी के अधिक दबाव के चलते यह नाली भी नाकाफी रही और रात्रि से ही बांध की पाल पर कटाव होना शुरू हो गया।
रात भर यहां सैकड़ों ग्रामीण जेसीबी की मदद से पाल को मजबूत करने व कटाव को रोकने में जुटे रहे, लेकिन सुबह तक यह कटाव काफी बढ़ गया और सुबह 9 बजे यह कच्चा बांध टूट गया और पानी बहकर मोरेल नदी में जाने लगा। नालावास गांव में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए अस्थायी कच्चे बांध के टूटने के बाद झांपदा गांव के पास लालसोट-चाकसू रोड पर बनी रपट के पास ग्रामीण मिट्टी डालकर वहां भी पानी को रोकने के लिए जुट गए हैं।
पक्के एनिकट की उठी मांग
कन्हैयालाल नालावास, रामू टीबावाला, प्रहलाद वार्ड पंच, रामफूल नालावास, पांचूराम, रमेश एवं रामकेश ठेकेदार समेत कई कार्यकर्ताओं ने बताया कि बांध की पाल सुरक्षित है, जहां कटाव लगा है, वहां फिलहाल मिट्टी के कट्टे डालकर पानी को दोबारा रोका जा रहा है। विधायक के माध्यम से उनकी मांग है कि राज्य सरकार यहां भी समेल की तरह बड़ा पक्का एनिकट का निर्माण करे, जिससे सभी गांवों को स्थायी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि आमराय से इस बांध को मजबूती दी जाएगी।
500 ग्रामीण जुटे थे बांध को तैयार करने में
मोरेल बांध पर इस अस्थायी कच्चा बांध को तैयार करने में नालावास व गोकुलपुरा गांवों के करीब 500 से अधिक ग्रामीण जुटे रहे। ग्रामीणों ने इस कार्य में 40 ट्रैक्टर, 5 जेसीबी एवं 2 पोकलेन मशीन की मदद से करीब एक सप्ताह से दिन रात जुटे रहे। ग्रामीणों ने नदी केे तेज बहाव पर मिट्टी डालकर करीब 300 मीटर लंबी व 70 मीटर चौड़ी पाल तैयार किया था। इस अस्थायी डेम की गहराई करीब 13 फीट थी।