Comedy poet Surendra Sharma made the audience laugh
सुरेंद्र शर्मा के गिरने से कुछ देर तो अफरा-तफरी का भी माहौल बन गया और वहां बैठे हजारों श्रोता व सभी कवि भी चिंतित भी हो उठे। चोट लगने के बाद उन्हें मंच के पीछे ले जाया गया।, कुछ देर में सुरेंद्र शर्मा दोबारा मंच पर लौटे और ताली बजाकर श्रोताओं का अभिवादन किया। इस दौरान भी सुरेंद्र शर्मा के ललाट के पास लगी चोट से खून छलकता रहा लेकिन वे पूरी शिद्दत के साथ कवि सम्मेलन में जमे रहे। कुछ देर बाद जब उनकी रचना सुनाने की बारी आई तो पौन घंटे तक हजारों श्रोताओं को हास्य व्यंग की रचनाओं से ऐसा मंत्रमुग्ध कर दिया की हर कोई उनकी हास्य व्यंग्य की कविताओं पर झूठा। जब शर्मा ने अपनी प्रस्तुति समाप्त की तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर अभिवादन किया। (नि.प्र)
Comedy poet Surendra Sharma made the audience laugh
राष्ट्रीय कवि पद्म सुरेन्द्र शर्मा ने सुनाया कि एक बार कहें, आखरी बार कहे, मन्दिर मस्जिद या किसी इमारत की माटी तो लागी उसमें भाई मेरे भारत की है। अल्लाह शर्मिन्दा रहा, मरा मुसलमान तो राम कब जिन्दा रहा। बिखरे-बिखरे है सभी आओ मिल जुलकर रहें, क्या पता हम रहे ना रहे, गाया। जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा तथा जमकर तालिया बजाई। उन्होंने हास्य कविताएं सुनाकर भी लोगो का मन मोहा। उन्होन नोटबन्दी एवं रामलीला में सुर्पणखा के चित्रण पर भी हास्य कविता गाई।
Comedy poet Surendra Sharma made the audience laugh