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चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को इस समय रांची के केली बंगले में रखा गया है।
यह बंगला रांची के रिम्स अस्पताल परिसर में ही स्थित है। लालू यादव की तबीयत खराब होने पर उन्हें रिम्स लाया गया था। ‘केली बंगले’ के गेट पर ही लीला यादव लालू से मिलने की आस लिए बैठे है।
यूं हुई लालू से मुलाकात…
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 1993 में उन्होंने ही लालू चालीसा लिखी थी। लालू समर्थकों के बीच यह पुस्तक काफी चर्चित हुई थी। लीला स्वयं को लालू का भक्त बताते है। उन्होंने लालू की तुलना भगवान कृष्ण और राम से की है तो खुद को सुदामा बताया है। उन्होंने बताया कि पटना स्थित महुआ बाग में एक राजनीतिक कार्यक्रम के तहत लालू यादव ने भाषण दिया था जिसने उनके दिल में जगह बना ली। इसके बाद से लालू उनके आदर्श बन गए। इस रैली के दौरान लीला यादव ने लालू से मुलाकात भी की, इस दौरान लालू ने उनसे नाम पूछने के बाद लीला को अपना सहोदर अर्थात सगा भाई बताया था। इसके बाद ही लीला ने लालू चालीसा लिखी और वितरित भी की। मैट्रिक तक पढ़ाई करने वाले लीला यादव ने 2 से 2.5 महीने में लालू चालीसा लिख डाली थी।
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यहां से चाहते है टिकट…
लीला ने बताया कि उसे लालू की भक्ति छोड़ने के लिए लोगों ने डराया, धमकाया और कई बार मारपीट भी की। लीला का कहना है कि 27 साल से लालू की निस्वार्थ भक्ति कर रहे है। अब वह चुनाव का टिकट चाहते है जिससे वह जनता की सेवा कर सके। बिहार में सीतामढ़ी के परिहार विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने टिकट की मांग की है।
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लालू चरित मानस में बताई लालू की लीला…
लीला का कहना है कि लालू प्रसाद यादव को साजिश के तहत फंसाया गया है और फिर जेल में डाल दिया गया क्योंकि विरोधियों को डर था कि लालू उनसे आगे नहीं निकल जाए। लीला यादव ने लालू से नहीं मिलने तक बंगले के गेट पर ही डटे रहने की बात कही है। उन्होंने बताया है कि वह अब लालू पर एक और किताब लिख रहे है। इसका नाम उन्होंने श्री कलयुग पुत्र लालू चरित मानस रखा है। विभिन्न कांड में लालू के जीवन को बांटते हुए वह इसकी रचना कर रहे है।