एक दर्जन से अधिक पोंदुम से लगी पंचायतों में पुलिस ने लोगों से पूछताछ की है। बावजूद इसके पुलिस को सफलता नही मिली है। कोतवाली थाना प्रभारी विजय पटेल का कहना है कि लगातार पुलिस प्रयास कर रही है।
जगदलपुर और सुकमा दोनो जिलों के थानों में भी सूचना कर दी गई है। वहां जितने भी सीसीटीवी लगे हुए है उनको खंगाला जा चुका है। पड़ोसी प्रातो में भी पुलिस पड़ताल कर वापस लौट आई है।
दंतेवाड़ा से लेकर जगदलपुर तक के सीसीटीवी खंगाले गए
पुलिस के आला अधिकारियों ने बच्चे के अपहरण मामले का सुलझाने की लिए तीन टीम का गठन किया है। इन टीम को जरा भी कहीं गुंजाइश दिखती है वहां के लिए रवाना कर दिया जाता है। आंध्रा, ओडिश और तेलांगना तक पुलिस हाथ-पैर मार कर बेरंग लौट आई है। इतना ही नहीं दंतेवाड़ा से लेकर जगदलपुर तक के
CCTV कैमरों को खंगाला जा चुका है। पुलिस को सीसीटीवी से भी कोई मदद नही मिली है। तीन टीम के गठन के बाद सायबर टीम को भी अलर्ट किया गया है। ये एक्सपर्ट भी निरंतर नजर बनाए हुए हैं।
Dantewada Bandh 2024: अब 14 सितंबर को किया जाएगा दंतेवाड़ा बंद
पोंदुम में 6 माह की बच्चे के अपहरण की घटना को लेकर मंगलवार की हुई आदिवासी समाज की बैठक में 12 सितंबर को
दंतेवाड़ा बंद का आह्वान किया गया था, जिसे बुधवार को आदिवासी समाज ने स्थगित कर दिया है और बंद की तिथि 14 सितंबर निर्धारित की गई है।
आदिवासी समाज ने इस संबंध में प्रेस नोट जारी करते हुए 12 सितबर को आदिवासी समाज के पदाधिकारियों की राजधानी
रायपुर में महत्वपूर्ण बैठक होने की वजह से बंद की तिथि को आगे बढ़ाने की बात कही गई है। ज्ञात रहे कि पोंदुम में 6 माह की बच्चे के अपहरण के बाद से ही आदिवासी समाज उद्धेलित है,और मंगलवार को आंवराभाटा दुर्गा मंडप में बैठक कर बंद की घोषणा की थी।
प्रत्यक्षदशी महिला भी नही बता पाई हुलिया
पोंदुम की रहने वाली सरिता यादव, कोंडोली की धनमती नाग और बालूद की रहने वाली महिला ने अपहरणकर्ताओं को देखा है। पुलिस को न तो वाइक का नबंर बता पा रही है और न ही बाइक की कंपनी को ही बता पाई है। हुलिया भी सही ढंग से नही बता सकी। इस वजह से पुलिस स्कैच जारी नहीं कर पा रही है। पुलिस के सामने बच्चे का मामला सुलझा पाना कठिन होता जा रहा है।
बच्चे का फोटो भी नहीं है
पुलिस इस प्रकरण में पूरी तरह से बैकफुट पर है। अंदरूनी पंचायत का मामला होने के चलते समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों का हुलिया भी देखने वाले नहीं बता पा रहे है। इतना ही नहीं बच्चे का फोटो तक परिजन के पास नहीं है। छोटा सा भी कोई क्लू मिले तो पड़ताल उस दिशा में आगे बढे। ऐसा कुछ भी नही मिल रहा है, जिससे मुकाम तक पहुंच सके। परिजन को बुलाकर सीसीटीवी के फुटेज दिखाए जा रहे है और उनसे वाइक सवारों की पहचान करवाई जा रही है। सीसीटीवी फुटेज में भी बच्चे के अपहरणकर्ता नही दिख रहे हैं।