‘गोंड़ी’ सीखने के लिए जवानों और पुलिसकर्मियों की कक्षाएं सोमवार से शुरू हो चुकी हैं। यहां पहले बैच में 50 जवानों ने दाखिला लिया है। पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि स्थानीय पुलिस कर्मी जो इस भाषा में पूरी तरह निपुर्ण हैं, उन्हे शिक्षकों के रूप में कक्षा में नियुक्त किया गया है।
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एसपी ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले कई पुलिसकर्मी है जिन्हे यहां बोली जाने वाली स्थानीय भाषा ‘गोंड़ी’ नहीं आती। जिसके कारण कई बार यहां संचार में परेशानी होती है। इसलिए हमने यह पहल की है जिससे यहां तैनात सभी जवानों को यह भाषा समझ में आए।
यहां की स्थानीय भाषा की कम समझ यहां पर नक्सल विरोधी अभियानों (Anti-naxal operations) में बाधा डालती है। इसलिए यह भाषा सीखना (Gondi language) यहां के जवानों को स्थानीय आदिवासियों के साथ जुडऩे में मदद करेगी। इसके साथ ही इस भाषा के ज्ञान से पुलिस को पूछताछ और जांच प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी और नक्सलियों की वायरलेस और मोबाइल बातचीत को समझने में भी आसानी होगी।
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