script4 दशक से बंद पड़ी बस्तर की इस बड़ी परियोजना का जिन्न आया बाहर, दोबारा शुरू करने खर्च होंगे 341 million dollar, क्योंकि… | Bodhghat project to be resumed at Indravati river dam after 40 years | Patrika News
दंतेवाड़ा

4 दशक से बंद पड़ी बस्तर की इस बड़ी परियोजना का जिन्न आया बाहर, दोबारा शुरू करने खर्च होंगे 341 million dollar, क्योंकि…

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में राज्य का सालाना बजट पेश किया जिसमें इस परियोजना को शुरू किए जाने का प्रावधान है।

दंतेवाड़ाMar 04, 2020 / 12:09 pm

Badal Dewangan

4 दशक से बंद पड़ी बस्तर की इस बड़ी परियोजना का जिन्न आया बाहर, दोबारा शुरू करने खर्च होंगे 341 million dollar, क्योंकि...

4 दशक से बंद पड़ी बस्तर की इस बड़ी परियोजना का जिन्न आया बाहर, दोबारा शुरू करने खर्च होंगे 341 million dollar, क्योंकि…

दंतेवाड़ा. पिछले चार दशक से बंद पड़ी बोधघाट परियोजना का जिन्न फिर से बाहर निकल आया है। दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में राज्य का सालाना बजट पेश किया जिसमें बोधघाट परियोजना को शुरू किए जाने का प्रावधान किया गया है। सरकार इस बार बोधघाट परियोजना को पन बिजली उत्पादन के साथ ही सिंचाई सुविधा के नजरिए से भी काफी उपयोगी मान रही है। सरकार ने बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से 2 लाख 66 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने की उम्मीद जताई है। वर्ष 1979 में शुरू हुई यह परियोजना बाद में केंद्रीय वन व पर्यावरण विभाग की आपत्ति के बाद बंद हो गई थी।

परियोजना के लिए विश्व बैंक से मिला था कर्ज
बोधघाट परियोजना के लिए विश्व बैंक ने भारत सरकार को 300 मिलियन डॉलर का कर्ज मंजूर किया था। परियोजना के लिए लंबी सुरंगों और आवासीय क्वार्टर्स का निर्माण कराया गया था जिनमें आवासीय क्वार्टर अब पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं। बोधघाट परियोजना में मशीनरी और श्रम शक्ति की शिफ्टिंग में आसानी के लिए सातधार में करीब 500 मीटर लंबे पुल का निर्माण भी किया गया था जो अब तक है। बांध निर्माण से पहले पानी डायवर्ट करने के लिए अस्थाई स्ट्रक्चर का निर्माण भी किया गया था जो अब भी सातधार पुल के ऊपरी हिस्से में मौजूद है।

वर्तमान लागत 341 मिलियन डॉलर आंकी गई है
क्रेडा ने 2015 में बनवाया था डीपीआर4 दशक से ज्यादा समय से बंद पड़ी इस परिेयोजना को पुनर्जीवित करने के लिए वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण क्रेडा ने कंसल्टेंट्स की नियुक्ति की थी जो परियोजना की लागत का पुनर्मूल्यांकन कर सके। नए सिरे से निर्माण करने पर इस परियोजना की वर्तमान लागत 341 मिलियन डॉलर आंकी गई है।

परियोजना को लेकर ये चुनौती भी
वर्ष 1971 की जनगणना के मुताबिक बोधघाट परियोजना के डुबान क्षेत्र में कुल 34 गांवों के 8350 लोग विस्थापित होने वाले थे। डुबान क्षेत्र की कुल 12.640 हेक्टेयर जमीन में 5676 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल थी। मौजूदा समय में बढ़ी हुई जनसंख्या के हिसाब से विस्थापित लोगों की संख्या में करीब दो से तीन गुना इजाफा हो सकता है।

बोधघाट प्रोजेक्ट के बारे में ये भी जानें
500 मेगावाट पन बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 125 मेगावाट की कुल 4 यूनिट लगेंगी। वर्ष 1979 में अविभाजित मध्यप्रदेश शासन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने आधारशिला रखी थी।

इसलिए इसलिए बोधघाट परियोजना के नाम से मशहूर
90 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाना प्रस्तावित था। इस परियोजना में 90 मीटर ऊंचा व 855 मीटर लंबा मुख्य बांध, दांयी व बांयी तरफ 500 मीटर और 365 मीटर लंबे दो सहायक बांध बनाए जाने प्रस्तावित थे। इस परियोजना के लिए एक पावर हाऊस, एक रिजर्वायर, एक स्विच यार्ड, एक रेस टनल, सडक़, जरूरी अधोसंरचनाएं, टरर्बाइन, जनरेटर, ट्रांसफार्मर व पावर कंट्रोल यूनिट लगाया जाना था। 1983 में इसकी लागत 475 करोड़ रूपए थी जो अब बढक़र कई गुना हो जाएगी। इंदिरा सरोवर पन बिजली परियोजना के नाम से इसकी शुरूआत हुई थी जो बाद में बोधघाट परियोजना के नाम से मशहूर हुई।

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